सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
सप्तश्लोकी दुर्गा
शिव उवाच
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी ।
कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः॥
शिव जी बोले :- हे देवि! तुम भक्तोंके लिये सुलभ (सरल, सहज) हो और समस्त कर्मों का विधान करने वाली हो। कलियुगमें कामनाओं की प्राप्ति के लिए यदि कोई उपाय हो तो उसे अपनी वाणी द्वारा उचित तरीके से व्यक्त करो।सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
देव्युवाच
श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥
देवी ने कहा :- हे देव! आपका मेरे ऊपर बहुत स्नेह है। कलियुगमें समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाला जो साधन है वह बतलाऊँगी, सुनो! उसका नाम है ‘ अम्बास्तुति ‘।सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
विनियोग :-
ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मन्त्रस्य नारायण ऋषिः,
अनुष्टुप छन्दः,श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः,
श्री दुर्गा प्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गा पाठे विनियोगः।
विनियोग का अर्थ :- ॐ इस दुर्गासप्तश्लोकी स्तोत्रमन्त्र के नारायण ऋषि हैं, अनुष्टुप् छन्द है, श्रीमहाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती देवता हैं, श्रीदुर्गा की प्रसन्नता के लिये सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ में इसका विनियोग किया जाता है।
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥
अर्थ :- वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींच कर मोह में डाल देती हैं ॥ १ ॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥2॥
अर्थ :- माँ दुर्गे! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्वारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याण मयी बुद्धि प्रदान करती हैं। दुःख, दरिद्रता और भय हरने वाली देवि! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिये सदा ही दयार्द्र रहता हो ॥ २ ॥
सर्व मङ्गल मङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥3॥
अर्थ :- नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याण दायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थों को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है ॥ ३ ॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥4॥
अर्थ :- शरणमें आये हुए दीनों एवं पीड़ितों की रक्षा में संलग्न रहने वाली तथा सबकी पीड़ा दूर करने वाली नारायणी देवि ! तुम्हें नमस्कार है ॥ ४ ॥
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते ॥5॥
अर्थ :- सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी तथा सब प्रकारकी शक्तियों से सम्पन्न दिव्य रूपा दुर्गे देवि! सब भयों से हमारी रक्षा करो, तुम्हें नमस्कार है ॥ ५ ॥
रोगा नशेषा नपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामा श्रितानां न विपन्न राणां
त्वामा श्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥
अर्थ :- देवि ! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरणमें जा चुके हैं, उनपर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरणमें गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देनेवाले हो जाते हैं ॥ ६ ॥
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्या खिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम् ॥7॥
अर्थ :- सर्वेश्वरि ! तुम इसी प्रकार तीनों लोकों की समस्त बाधाओं को शान्त करो और हमारे शत्रुओं का नाश करती रहो ॥ ७ ॥
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यह पूजन समर्पित किया जाता है मां दुर्गा को. यह आलेख आपको समझाएगा कि साप्त्श्लोकी दुर्गा पाठ का नियम क्या होता है और इसे कैसे अनुसरण करना चाहिए ताकि आपके जीवन में सुख और समृद्धि आ सके।
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ भगवान दुर्गा के स्तुति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो दुर्गा सप्तशती के भाग में आता है। इसमें सात श्लोक होते हैं, जिनमें मां दुर्गा की महिमा और शक्ति का गुणगान किया जाता है। इस पाठ को पढ़कर और उसका अनुष्ठान करके, विश्वास किया जाता है कि भक्त सफलता, खुशियाँ, और सुख का आनंद उठा सकते हैं।सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
साप्त्श्लोकी दुर्गा पाठ को पूरी भावना के साथ किया जाना चाहिए, ताकि इसका महत्व समझा जा सके। यहां हम साप्त्श्लोकी दुर्गा पाठ के नियमों को विस्तार से बता रहे हैं:सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
1. अनुष्ठान की नियमितता
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ को नियमित रूप से करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह प्रतिदिन किया जा सकता है, या फिर विशेष पर्वों और त्योहारों में अधिक सक्रिय रूप से किया जा सकता है।सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
2. ध्यान और श्रद्धा
पाठ के समय, आपको पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए। मां दुर्गा के प्रति अपनी विशेष भावनाओं को व्यक्त करें और उनके दिव्य शक्तियों का आभास करें।सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
3. विशेष आवश्यकताओं का ध्यान
यदि आपके पास कोई विशेष आवश्यकता हो, तो पाठ के समय उसे मां दुर्गा के समक्ष रखें और उनसे आपकी समस्या का समाधान मांगें।
4. अध्ययन और समझ
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ का अध्ययन करें और इसका समझने का प्रयास करें। यह श्लोक हमें मां दुर्गा के गुणों और महिमा के प्रति जागरूक करते हैं।
5. संगीत और भजन
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के साथ गाने और भजन गाने से यह अनुष्ठान और भी आनंदमय बना सकता है।
सप्तश्लोकी पाठ को करने के कई कारण होते हैं जो आपके जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं:
आध्यात्मिक विकास: सप्तश्लोकी पाठ आपको आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विकसित कर सकता है। यह आपकी आध्यात्मिक जीवन को मजबूत और स्थिर बनाने में मदद करता है.सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
शांति और ध्यान: सप्तश्लोकी पाठ करने से मानसिक शांति और ध्यान की स्थिति में सुधार हो सकता है. यह आपके मन को सान्त्वना प्रदान करता है और स्थितियों के सामने साहस और सहनशीलता बढ़ावा देता है.सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
आत्म-संरक्षण: सप्तश्लोकी पाठ करने से आप अपने आत्म-संरक्षण की भावना और आत्म-संयम में सुधार कर सकते हैं. यह आपको बुराइयों से बचाने में मदद कर सकता है.सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
सफलता और सुख: सप्तश्लोकी पाठ का नियमित अभ्यास आपके जीवन में सफलता, सुख, और समृद्धि का अनुभव करने में मदद कर सकता है।
कर्मों की रक्षा: यह पाठ आपको बुराई से बचने में मदद कर सकता है और आपके कर्मों की रक्षा कर सकता है।
धार्मिक दृष्टिकोण: सप्तश्लोकी पाठ आपको अपने धार्मिक मूल्यों के प्रति समर्पित बनाता है और आपके जीवन को धार्मिक मानदंडों के साथ जीने में मदद कर सकता है.सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
सप्तश्लोकी पाठ को नियमित रूप से और श्रद्धा भाव से करने से ये लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
सप्तश्लोकी पाठ का महत्वपूर्ण कारण है कि यह भगवान विष्णु के प्रति भक्ति, आदर, और श्रद्धा का व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पाठ भगवान विष्णु के करुणा और अनुग्रह को प्राप्त करने का माध्यम है और विशेष रूप से उनके सत्कार्यों को लाभान्वित करने का साधना करता है।
यहां कुछ कारण हैं कि आपको सप्तश्लोकी पाठ करना चाहिए:
आत्मा की शुद्धि: सप्तश्लोकी पाठ आपकी आत्मा को शुद्ध करने में मदद करता है और आपके मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
भक्ति और आदर: यह पाठ आपके भक्ति और आदर को बढ़ावा देता है और आपको भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा को दर्शाता है।
शांति और सुख: सप्तश्लोकी पाठ का अनुष्ठान करने से आपके जीवन में शांति और सुख का आभास होता है और आपको जीवन के कठिनाइयों का समाधान ढूंढने में मदद मिलती है।सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
कर्मफल की प्राप्ति: यह पाठ भगवान विष्णु के अनुग्रह को प्राप्त करने का माध्यम है और आपको अधिक कर्मफल की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
दुखों का निवारण: सप्तश्लोकी पाठ दुखों और संकटों का निवारण करने में मदद कर सकता है और आपको स्थितियों के साथ साहसी रूप से मुकाबला करने में मदद करता है।सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
इन कारणों से सप्तश्लोकी पाठ करना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है और आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का साधना कर सकता है|सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
समापन
सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ का अनुसरण करने से आप अपने जीवन में खुशियों और समृद्धि का आभास करेंगे। यह पाठ आपको मां दुर्गा के शक्तिशाली आशीर्वाद से लाभान्वित कर सकता है।सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ क्या है?(Saptshloki Durga Paath)सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ के नियम
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