नारायण कवच, भारतीय संस्कृति में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है, जो हिन्दू धर्म के अनुष्ठानों में एक अत्यंत महत्व रखता है। इसके अर्थ और महत्व के साथ, यह आराधना और भक्ति का माध्यम भी होता है। हम इस लेख में नारायण कवच के महत्व, लाभ, और मंत्र की गहराईयों में जाएंगे और आपको इस आदर्श कवच के विशेष अर्थ को समझाने का प्रयास करेंगे।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
नारायण कवच क्या है?
नारायण कवच एक प्रकार की पूजा या आराधना है जिसमें भगवान विष्णु की रक्षा के लिए एक विशेष मंत्र का उच्चारण किया जाता है। यह कवच भक्तों को सुरक्षित और सुखी जीवन की प्राप्ति में मदद करता है और उन्हें नेगेटिव शक्तियों से बचाने में मदद करता है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
नारायण कवच के महत्व
नारायण कवच का उच्चारण करने से कई महत्वपूर्ण लाभ होते हैं:
रोग और बुराई से सुरक्षा:
नारायण कवच के उच्चारण से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से सुरक्षित रहने की शक्ति मिलती है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
आत्मा का शांति:
यह कवच भक्तों को आत्मा की शांति और सकारात्मकता प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे वे जीवन के हर पहलू में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
पूजा और आराधना का माध्यम: नारायण कवच का उच्चारण भक्तों के लिए उनके भगवान के प्रति आदर्श रूप से काम आता है, जो उनकी आराधना को मजबूती और ध्यान केंद्रित करता है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
नारायण कवच का मंत्र यहाँ प्रस्तुत है:
ॐ नारायणाय नमः
इस मंत्र का नियमित उच्चारण करने से भक्त अपने जीवन में शुभ और सुख की ओर बढ़ सकते हैं।
नारायण कवच के उपयोग
नारायण कवच का उच्चारण अपने दैनिक जीवन में निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जा सकता है:
पूजा और आराधना:
भक्तों के लिए रोज़ाना की पूजा में नारायण कवच का उच्चारण करना उनकी आराधना को अधिक प्रभावी बना सकता है।
सुरक्षा और रक्षा:
इसे सुरक्षा के उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि यात्रा के समय या कठिनाइयों का सामना करते समय।
मानसिक शांति:
नारायण कवच का उच्चारण मानसिक तनाव और चिंता को दूर करने में मदद कर सकता है और आत्मा को शांति प्रदान कर सकता है।
नारायण कवच का महत्वपूर्ण अंश
नारायण कवच का महत्वपूर्ण अंश है कि इसका नियमित उच्चारण और आराधना से भक्तों को भगवान के साथ एक गहरा और सांत्वना भरा संबंध बनाने में मदद मिलती है। यह एक पूर्ण रक्षा कवच के रूप में काम करता है और उन्हें अनगिनत शुभ गुण देता है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
नारायण कवच पाठ को नियमित रूप से करने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करें:
स्थिति और समय:
नारायण कवच का पाठ सुबह के समय या सायंकाल में करें। यह सबसे अच्छा होता है क्योंकि यह आपके दिन की शुरुआत और समापन को पवित्र बनाता है।
पवित्रता:
पाठ करते समय, आपको पवित्रता का पालन करना चाहिए। हाथ धोकर और साफ कपड़े पहनकर यह कवच पाठ करें।
मंत्र का उच्चारण:
नारायण कवच का मंत्र “ॐ नारायणाय नमः” का उच्चारण सुकून से और मन से करें। ध्यानपूर्वक और समर्पण भाव से मंत्र का जप करें।
स्थान:
ध्यान दें कि पाठ करते समय आपके आसपास शांति और सुकून हो, ताकि आप अपने मन को भगवान की ओर संजीवनी कर सकें।
नियमितता:
नारायण कवच पाठ को नियमित रूप से करें। यह हर दिन करने से अधिक फायदेमंद होता है।
आदरणीयता:
नारायण कवच का पाठ करते समय आपको भगवान के प्रति आदरणीय भाव रखना चाहिए।
समापन:
पाठ करने के बाद, ध्यानपूर्वक ध्यान करें और भगवान का आभार व्यक्त करें।
नारायण कवच पाठ के नियमों का पालन करने से आप अपने जीवन में शुभता और सुख की ओर बढ़ सकते हैं और भगवान के साथ गहरा संबंध बना सकते हैं।
नारायण कवच में पूछे जाने वाले प्रस्नों का उत्तर इस प्रकार हैं:
क्या नारायण कवच का पाठ किसी विशेष समय पर किया जा सकता है?
हां, नारायण कवच का पाठ सुबह के समय या सायंकाल में किया जा सकता है, लेकिन यह किसी भी समय किया जा सकता है, यदि आपके पास उचित स्थान और सांत्वना है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
क्या नारायण कवच का पाठ रोज़ाना करना चाहिए?
हां, नारायण कवच का नियमित उच्चारण अधिक फायदेमंद होता है। यह आपको आत्मिक और शारीरिक सुख की ओर अग्रसर करने में मदद करता है।
क्या नारायण कवच का पाठ किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जा सकता है?नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
हां, नारायण कवच का पाठ किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जा सकता है, जैसे कि सुरक्षा, सुख, या आराधना की वृद्धि के लिए। आप इसे अपने आवश्यकताओं और आदर्शों के अनुसार पाठ कर सकते हैं।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
क्या नारायण कवच का पाठ केवल हिन्दू धर्म के भक्त ही कर सकते हैं?
नहीं, नारायण कवच का पाठ किसी भी धर्म के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। यह एक भक्ति और आध्यात्मिकता का माध्यम है और सभी मानवों के लिए उपयोगी हो सकता है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
क्या नारायण कवच का पाठ करने से कोई खास शक्तियाँ प्राप्त होती हैं?
नारायण कवच का पाठ करने से व्यक्ति को आत्मिक और मानसिक शक्ति मिलती है, और यह उन्हें बुराई से सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है। यह कवच आत्मा को शांति प्रदान करने की ओर बढ़ावा देता है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
क्या नारायण कवच का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
हां, नारायण कवच का पाठ करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, क्योंकि यह मानसिक तनाव को कम करने और शारीरिक रूप से सुरक्षित रहने में मदद करता है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
ये थे कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर जो नारायण कवच के पाठ के संबंध में हैं। आप इस कवच को नियमित रूप से पाठ करके आत्मिक और शारीरिक सुख की ओर अग्रसर हो सकते हैं।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
नारायण कवच का पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
सामग्री:
शुद्ध और साफ कपड़े में बैठें।
जप माला (बीड़े)।
धूप और दीपक (अगर आवश्यक हो)।
पाठ की विधि:
पाठ करने से पहले,
धूप और दीपक जलाएं, और आपके आसपास की वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिए मन में भगवान नारायण को स्मरण करें।
अपने असन पर सुखमय बैठें और ध्यान में रहें।
अपने मन को शांति और स्थिरता में लाने के लिए एक क्षण के लिए मौन बने रहें।
अब जप माला को अपने दाहिने हाथ की मध्यमा और अंगूठे के उस निशानी में रखें जो हृदय के बगीचे के निकट होता है।
माला के पहले मन्त्र
“ॐ नारायणाय नमः” का पाठ करें। माला के एक बीड़े को आपके अंगूठे और मध्यम उंगली के बीच ले जाएं और उसे धीरे से बढ़ाएं जैसे कि आप माला के बीड़े को फिंगरप्रिंट पर धकेल रहे हैं।
इसके बाद,
माला के हर एक बीड़े के साथ मन्त्र का उच्चारण करें, और समय और दिशा के साथ माला को घुमाएं।
आप जितना सके, इस पाठ को नियमित रूप से करें, और अपने मन को पूर्ण ध्यान में रखें।
पाठ के समापन के बाद, ध्यान में रहें और भगवान नारायण का आभार व्यक्त करें।
इस रूप में, आप नारायण कवच का पाठ कर सकते हैं और अपने आत्मिक और शारीरिक सुख की ओर अग्रसर हो सकते हैं। यह धार्मिक आदर्श और आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
पूजन सामग्री
पूजन सामग्री का उपयोग धार्मिक पूजन और आराधना के दौरान किया जाता है और यह धार्मिक माहौल को पवित्र और सुंदर बनाने में मदद करता है। यहाँ पूजन सामग्री की एक सामान्य सूची दी गई है:
मूर्तियाँ या प्रतिमाएँ:
पूजन में विशेष देवता या देवी की मूर्ति या प्रतिमा का उपयोग किया जाता है।
पूजन कपड़ा:
एक पूजन कपड़ा धर्मिक स्थल पर फैलाया जाता है जिस पर मूर्ति या प्रतिमा रखी जाती है। यह धर्मिक पूजन के लिए साफ और शुद्ध होना चाहिए।
दीपक और दीप:
धार्मिक पूजन के दौरान दीपक (दिया) जलाया जाता है, जो प्रतितिथि को प्रकाशित करता है और आत्मिक शांति का प्रतीक होता है।
धूप और धूपदान:
धूप की गंध धार्मिक पूजन के लिए उपयोग की जाती है, और धूपदान इसे जलाने के लिए उपयोग होता है।
कुश या आसन:
पूजा करते समय एक कुश या आसन पर बैठा जाता है ताकि धार्मिक पूजन के दौरान सुखद और आरामदायक हो।
पूजन के यंत्र और उपकरण:
कुछ पूजा के लिए विशेष यंत्र और उपकरण भी उपयोग में आते हैं, जैसे कि माला, कमंडल, बेल, और शंख।
पुष्प और फल:
पुष्पों और फलों का उपयोग पूजन में अर्पित करने के लिए किया जाता है, जो आदर्श और सुंदर पूजन का हिस्सा होते हैं।
आचमनीय पानी:
पूजा के बाद आचमनीय पानी का पान किया जाता है, जिससे पवित्रता बनी रहती है।
प्रासाद:
पूजा के बाद भगवान को प्रासाद के रूप में आहार अर्पित किया जाता है, जिसे फिर भक्तों को बाँटा जाता है।
ये सामग्री धार्मिक पूजन और आराधना के दौरान उपयोग की जाती है और आत्मिक संबंध और धार्मिक माहौल को मजबूत बनाने में मदद करती है।
नारायण कवच का पूजन निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है:
सामग्री:
नारायण कवच पाठ पुस्तक (यदि आपके पास हो)।
पूजन कपड़ा (पूजन के लिए विशेष कपड़ा)।
दीपक (दिया) और धूप (आरती के लिए)।
पुष्प (फूल) और फल (फलों की नैवेद्य)।
पूजा के लिए विशेष स्थान जैसे कि आलंब (यदि आपके पास हो)।
जल (पुजारी और देवता को शुद्ध करने के लिए)।
जप माला (मंत्र का जप करने के लिए)।
पूजन की विधि:
पूजा का आदरंग आयोजन करें:
पूजा की शुरुआत में पूजा कपड़ा फैलाएं और दीपक को जलाएं।
धूप और धूपदान:
धूप की गंध धार्मिक पूजा के लिए उपयोग की जाती है, और धूपदान इसे जलाने के लिए उपयोग होता है।
मंत्र का जप:
अब नारायण कवच का मंत्र “ॐ नारायणाय नमः” का उच्चारण करें, जब आप जप माला के साथ माला के बीड़े को धीरे से बढ़ाते हैं। मंत्र का जप ध्यानपूर्वक और श्रद्धा भाव से करें।
पुष्पों और फलों का आरोपण:
पूजा के दौरान पुष्प (फूल) और फल (फलों की नैवेद्य) को देवता के चरणों पर अर्पित करें।
आरती:
आरती के लिए दीपक को आरती करें और गीत या मंत्रों के साथ देवता को अर्पित करें।
ध्यान और आभार:
पूजा के बाद ध्यान में रहें और भगवान का आभार व्यक्त करें।
प्रासाद:
पूजा के बाद भगवान को प्रासाद के रूप में आहार अर्पित करें, जिसे फिर भक्तों को बाँटा जाता है।
नारायण कवच का पूजन इस रूप में किया जा सकता है और इससे आप अपने आत्मिक और धार्मिक संबंध को मजबूत कर सकते हैं। यह धार्मिक आराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और आत्मिक उन्नति में मदद करता है।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
नारायण कवच में प्रसाद|
नारायण कवच का पूजन करते समय, प्रसाद बनाने और प्रसाद अर्पित करने का प्रसंस्कार बड़े महत्वपूर्ण होता है। प्रसाद का अर्थ होता है भगवान के आशीर्वाद के रूप में कुछ आहार जो भक्तों को दिया जाता है। यहां एक सामान्य प्रसाद की सूची दी गई है:नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
पूरी और सब्जी:
बहुत से लोग नारायण कवच का पूजन करते समय पूरी और सब्जी तैयार करते हैं और इसे भगवान को अर्पित करते हैं।
केसरी:
केसरी (सफ्रोन) का बनाया गया हलवा भी प्रसाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
मिठाई:
मिठाई जैसे बेसन के लड्डू, गुड़ की पिंडी, और जलेबी भी प्रसाद के रूप में उपयोग होते हैं।
फल:
फलों को भी प्रसाद के रूप में अर्पित किया जा सकता है, जैसे कि नारियल, बनाने, और सेब।
चावल और दाल:
चावल और दाल के आलू या खिचड़ी भी प्रसाद के रूप में दिया जा सकता है।
दूध और पंचामृत:
पूजा के दौरान दूध और पंचामृत का उपयोग भी किया जाता है। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद, और गंदक होता है।
फुली कृत्य वस्त्र:
पूजा करते समय पूजन कपड़े के ऊपर फुली कृत्य वस्त्र को प्रसाद के रूप में रखा जा सकता है।
प्रसाद के प्लेट और थाली:
प्रसाद को प्राप्त करने के लिए एक साफ प्लेट या थाली का उपयोग करते हैं और उसमें पूजन सामग्री रखते हैं।
प्रसाद तैयार करने और प्रसाद देने का उद्देश्य होता है भगवान के आशीर्वाद को भक्तों के साथ साझा करना और आत्मिक उन्नति में मदद करना। धार्मिक पूजा और आराधना में प्रसाद का महत्वपूर्ण स्थान होता है और यह धार्मिक समुदायों में एक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा का हिस्सा होता है।
॥अथ श्री नारायण कवच॥
ॐ श्री विष्णवे नमः ॥
ॐ श्री विष्णवे नमः ॥
ॐ श्री विष्णवे नमः ॥
ॐ नमो नारायणाय ॥
ॐ नमो नारायणाय ॥
ॐ नमो नारायणाय ॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां न्यस्ताड़् घ्रिपद्मः पतगेन्द्रपृष्ठे ।
दरारिचर्मासिगदेषुचापपाशान् दधानोsष्टगुणोsष्टबाहुः ॥१॥
जलेषु मां रक्षतु मत्स्यमूर्तिर्यादोगणेभ्यो वरूणस्य पाशात् ।
स्थलेषु मायावटुवामनोsव्यात् त्रिविक्रमः खेऽवतु विश्वरूपः ॥२॥
दुर्गेष्वटव्याजिमुखादिषु प्रभुः पायान्नृसिंहोऽसुरुयूथपारिः ।
विमुञ्चतो यस्य महाट्टहासं दिशो विनेदुर्न्यपतंश्च गर्भाः ॥३॥
रक्षत्वसौ माध्वनि यज्ञकल्पः स्वदंष्ट्रयोन्नीतधरो वराहः ।
रामोऽद्रिकूटेष्वथ विप्रवासे सलक्ष्मणोsव्याद् भरताग्रजोsस्मान् ॥४॥
मामुग्रधर्मादखिलात् प्रमादान्नारायणः पातु नरश्च हासात् ।
दत्तस्त्वयोगादथ योगनाथः पायाद् गुणेशः कपिलः कर्मबन्धात् ॥५॥
सनत्कुमारोऽवतु कामदेवाद्धयशीर्षा मां पथि देवहेलनात् ।
देवर्षिवर्यः पुरूषार्चनान्तरात् कूर्मो हरिर्मां निरयादशेषात् ॥६॥
धन्वन्तरिर्भगवान् पात्वपथ्याद् द्वन्द्वाद् भयादृषभो निर्जितात्मा ।
यज्ञश्च लोकादवताज्जनान्ताद् बलो गणात् क्रोधवशादहीन्द्रः ॥७॥
द्वैपायनो भगवानप्रबोधाद् बुद्धस्तु पाखण्डगणात् प्रमादात् ।
कल्किः कलेः कालमलात् प्रपातु धर्मावनायोरूकृतावतारः ॥८॥
मां केशवो गदया प्रातरव्याद् गोविन्द आसंगवमात्तवेणुः ।
नारायण प्राह्ण उदात्तशक्तिर्मध्यन्दिने विष्णुररीन्द्रपाणिः ॥९॥
देवोsपराह्णे मधुहोग्रधन्वा सायं त्रिधामावतु माधवो माम् ।
दोषे हृषीकेश उतार्धरात्रे निशीथ एकोsवतु पद्मनाभः ॥१०॥
श्रीवत्सधामापररात्र ईशः प्रत्यूष ईशोऽसिधरो जनार्दनः ।
दामोदरोऽव्यादनुसन्ध्यं प्रभाते विश्वेश्वरो भगवान् कालमूर्तिः ॥११॥
चक्रं युगान्तानलतिग्मनेमि भ्रमत् समन्ताद् भगवत्प्रयुक्तम् ।
दन्दग्धि दन्दग्ध्यरिसैन्यमाशु कक्षं यथा वातसखो हुताशः ॥१२॥
गदेऽशनिस्पर्शनविस्फुलिङ्गे निष्पिण्ढि निष्पिण्ढ्यजितप्रियासि ।
कूष्माण्डवैनायकयक्षरक्षोभूतग्रहांश्चूर्णय चूर्णयारीन् ॥१३॥
त्वं यातुधानप्रमथप्रेतमातृपिशाचविप्रग्रहघोरदृष्टीन् ।
दरेन्द्र विद्रावय कृष्णपूरितो भीमस्वनोऽरेर्हृदयानि कम्पयन् ॥१४॥
त्वं तिग्मधारासिवरारिसैन्यमीशप्रयुक्तो मम छिन्धि छिन्धि ।
चक्षूंषि चर्मञ्छतचन्द्र छादय द्विषामघोनां हर पापचक्षुषाम् ॥१५॥
यन्नो भयं ग्रहेभ्योऽभूत् केतुभ्यो नृभ्य एव च ।
सरीसृपेभ्यो दंष्ट्रिभ्यो भूतेभ्योंऽहोभ्य एव वा ॥१६॥
सर्वाण्येतानि भगवन्नामरूपास्त्रकीर्तनात् ।
प्रयान्तु संक्षयं सद्यो ये नः श्रेयः प्रतीपकाः ॥१७॥
गरूड़ो भगवान् स्तोत्रस्तोभश्छन्दोमयः प्रभुः ।
रक्षत्वशेषकृच्छ्रेभ्यो विष्वक्सेनः स्वनामभिः ॥१८॥
सर्वापद्भ्यो हरेर्नामरूपयानायुधानि नः ।
बुद्धीन्द्रियमनः प्राणान् पान्तु पार्षदभूषणाः ॥१९॥
यथा हि भगवानेव वस्तुतः सदसच्च यत् ।
सत्येनानेन नः सर्वे यान्तु नाशमुपद्रवाः ॥२०॥
यथैकात्म्यानुभावानां विकल्परहितः स्वयम् ।
भूषणायुद्धलिङ्गाख्या धत्ते शक्तीः स्वमायया ॥२१॥
तेनैव सत्यमानेन सर्वज्ञो भगवान् हरिः ।
पातु सर्वैः स्वरूपैर्नः सदा सर्वत्र सर्वगः ॥२२॥
विदिक्षु दिक्षूर्ध्वमधः समन्तादन्तर्बहिर्भगवान् नारसिंहः ।
प्रहापयँल्लोकभयं स्वनेन स्वतेजसा ग्रस्तसमस्ततेजाः ॥२३॥
हिन्दी भावार्थ
भगवान् श्रीहरि गरूड़जी के पीठ पर अपने चरणकमल रखे हुए हैं, अणिमा आदि आठों सिद्धियाँ उनकी सेवा कर रही हैं आठ हाँथों में शंख, चक्र, ढाल, तलवार, गदा, बाण, धनुष, और पाश (फंदा) धारण किए हुए हैं वे ही ॐकार स्वरूप प्रभु सब प्रकार से सब ओर से मेरी रक्षा करें॥१॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
मत्स्यमूर्ति भगवान् जल के भीतर जलजंतुओं से और वरूण के पाश से मेरी रक्षा करें माया से ब्रह्मचारी रूप धारण करने वाले वामन भगवान् स्थल पर और विश्वरूप श्री त्रिविक्रमभगवान् आकाश में मेरी रक्षा करें ॥२॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
जिनके घोर अट्टहास करने पर सब दिशाएँ गूँज उठी थीं और गर्भवती दैत्यपत्नियों के गर्भ गिर गये थे, वे दैत्ययूथपतियों के शत्रु भगवान् नृसिंह किले, जंगल, रणभूमि आदि विकट स्थानों में मेरी रक्षा करें ॥३॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
अपनी दाढ़ों पर पृथ्वी को उठा लेने वाले यज्ञमूर्ति वराह भगवान् मार्ग में, परशुराम जी पर्वतों के शिखरों और लक्ष्मणजी के सहित भरत के बड़े भाई भगावन् रामचंद्र प्रवास के समय मेरी रक्षा करें ॥४॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
भगवान् नारायण मारण – मोहन आदि भयंकर अभिचारों और सब प्रकार के प्रमादों से मेरी रक्षा करें ऋषिश्रेष्ठ नर गर्व से, योगेश्वर भगवान् दत्तात्रेय योग के विघ्नों से और त्रिगुणाधिपति भगवान् कपिल कर्मबन्धन से मेरी रक्षा करें ॥५॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
परमर्षि सनत्कुमार कामदेव से, हयग्रीव भगवान् मार्ग में चलते समय देवमूर्तियों को नमस्कार आदि न करने के अपराध से, देवर्षि नारद सेवापराधों से और भगवान् कच्छप सब प्रकार के नरकों से मेरी रक्षा करें ॥६॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
भगवान् धन्वन्तरि कुपथ्य से, जितेन्द्र भगवान् ऋषभदेव सुख-दुःख आदि भयदायक द्वन्द्वों से, यज्ञ भगवान् लोकापवाद से, बलरामजी मनुष्यकृत कष्टों से और श्रीशेषजी क्रोधवशनामक सर्पों के गणों से मेरी रक्षा करें ॥७॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
भगवान् श्रीकृष्णद्वैपायन व्यासजी अज्ञान से तथा बुद्धदेव पाखण्डियों से और प्रमाद से मेरी रक्षा करें धर्म-रक्षा करने वाले महान अवतार धारण करने वाले भगवान् कल्कि पाप-बहुल कलिकाल के दोषों से मेरी रक्षा करें ॥८॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
प्रातःकाल भगवान् केशव अपनी गदा लेकर, कुछ दिन चढ़ जाने पर भगवान् गोविन्द अपनी बांसुरी लेकर, दोपहर के पहले भगवान् नारायण अपनी तीक्ष्ण शक्ति लेकर और दोपहर को भगवान् विष्णु चक्रराज सुदर्शन लेकर मेरी रक्षा करें ॥९॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
तीसरे पहर में भगवान् मधुसूदन अपना प्रचण्ड धनुष लेकर मेरी रक्षा करें सांयकाल में ब्रह्मा आदि त्रिमूर्तिधारी माधव, सूर्यास्त के बाद हृषिकेश, अर्धरात्रि के पूर्व तथा अर्ध रात्रि के समय अकेले भगवान् पद्मनाभ मेरी रक्षा करें ॥१०॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
रात्रि के पिछले प्रहर में श्रीवत्सलाञ्छन श्रीहरि, उषाकाल में खड्गधारी भगवान् जनार्दन, सूर्योदय से पूर्व श्रीदामोदर और सम्पूर्ण सन्ध्याओं में कालमूर्ति भगवान् विश्वेश्वर मेरी रक्षा करें ॥११॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
सुदर्शन ! आपका आकार चक्र ( रथ के पहिये ) की तरह है आपके किनारे का भाग प्रलयकालीन अग्नि के समान अत्यन्त तीव्र है। आप भगवान् की प्रेरणा से सब ओर घूमते रहते हैं जैसे आग वायु की सहायता से सूखे घास-फूस को जला डालती है, वैसे ही आप हमारी शत्रुसेना को शीघ्र से शीघ्र जला दीजिये, जला दीजिये ॥१२॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
कौमुद की गदा ! आपसे छूटने वाली चिनगारियों का स्पर्श वज्र के समान असह्य है आप भगवान् अजित की प्रिया हैं और मैं उनका सेवक हूँ इसलिए आप कूष्माण्ड, विनायक, यक्ष, राक्षस, भूत और प्रेतादि ग्रहों को अभी कुचल डालिये, कुचल डालिये तथा मेरे शत्रुओं को चूर – चूर कर दीजिये ॥१३॥
शङ्खश्रेष्ठ ! आप भगवान् श्रीकृष्ण के फूँकने से भयंकर शब्द करके मेरे शत्रुओं का दिल दहला दीजिये एवं यातुधान, प्रमथ, प्रेत, मातृका, पिशाच तथा ब्रह्मराक्षस आदि भयावने प्राणियों को यहाँ से तुरन्त भगा दीजिये ॥१४॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
भगवान् की श्रेष्ठ तलवार ! आपकी धार बहुत तीक्ष्ण है आप भगवान् की प्रेरणा से मेरे शत्रुओं को छिन्न-भिन्न कर दीजिये। भगवान् की प्यारी ढाल ! आपमें सैकड़ों चन्द्राकार मण्डल हैं आप पापदृष्टि पापात्मा शत्रुओं की आँखे बन्द कर दीजिये और उन्हें सदा के लिये अन्धा बना दीजिये ॥१५॥
सूर्य आदि ग्रह, धूमकेतु (पुच्छल तारे ) आदि केतु, दुष्ट मनुष्य, सर्पादि रेंगने वाले जन्तु, दाढ़ोंवाले हिंसक पशु, भूत-प्रेत आदि तथा पापी प्राणियों से हमें जो-जो भय हो और जो हमारे मङ्गल के विरोधी हों – वे सभी भगावान् के नाम, रूप तथा आयुधों का कीर्तन करने से तत्काल नष्ट हो जायें ॥१६-१७॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
बृहद्, रथन्तर आदि सामवेदीय स्तोत्रों से जिनकी स्तुति की जाती है, वे वेदमूर्ति भगवान् गरूड़ और विष्वक्सेनजी अपने नामोच्चारण के प्रभाव से हमें सब प्रकार की विपत्तियों से बचायें॥१८॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
श्रीहरि के नाम, रूप, वाहन, आयुध और श्रेष्ठ पार्षद हमारी बुद्धि , इन्द्रिय , मन और प्राणों को सब प्रकार की आपत्तियों से बचायें ॥१९॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
जितना भी कार्य अथवा कारण रूप जगत है, वह वास्तव में भगवान् ही है इस सत्य के प्रभाव से हमारे सारे उपद्रव नष्ट हो जायें ॥२०॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
जो लोग ब्रह्म और आत्मा की एकता का अनुभव कर चुके हैं, उनकी दृष्टि में भगवान् का स्वरूप समस्त विकल्पों से रहित है-भेदों से रहित हैं फिर भी वे अपनी माया शक्ति के द्वारा भूषण, आयुध और रूप नामक शक्तियों को धारण करते हैं यह बात निश्चित रूप से सत्य है इस कारण सर्वज्ञ, सर्वव्यापक भगवान् श्रीहरि सदा -सर्वत्र सब स्वरूपों से हमारी रक्षा करें ॥२१-२२॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
जो अपने भयंकर अट्टहास से सब लोगों के भय को भगा देते हैं और अपने तेज से सबका तेज ग्रस लेते हैं, वे भगवान् नृसिंह दिशा -विदिशा में, नीचे -ऊपर, बाहर-भीतर – सब ओर से हमारी रक्षा करें ॥२३॥नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
समापन
नारायण कवच हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका नियमित उच्चारण और आराधना से भक्तों को अद्भुत लाभ मिलता है। यह एक पूर्ण रक्षा कवच के रूप में काम करता है और भक्तों को सुरक्षित और सुखी जीवन की दिशा में मदद करता है। इसलिए, हम सभी को नारायण कवच का नियमित उच्चारण करने का सुझाव देते हैं, ताकि हम सभी अपने जीवन को सुखमय और समृद्धि से भर सकें।नारायण कवच क्या है?Narayan Kavach Paath-नारायण कवच पाठ के नियम
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