गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
गणेश गौरी पूजन: विधि, महत्व,और परंपराएँ
गणेश गौरी पूजन एक प्रमुख हिन्दू पर्व है जो भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान गणेश और माता गौरी के प्रति भक्ति का प्रतीक है और इसका महत्वपूर्ण स्थान हिन्दू धर्म में है। हम इस लेख में गणेश गौरी पूजन की विधि, महत्व, और परंपराओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
गणेश गौरी पूजन की विधि
सामग्री एवं साज सज्जा
गणेश गौरी पूजन की शुरुआती तैयारियों में पूजा सामग्री का सजीव रूप से तैयार करना शामिल है। पूजा में उपयोग होने वाली मूर्तियाँ, फूल, धूप, दीपक आदि को सजाकर रखना महत्वपूर्ण होता है। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
पूजा विधि
व्रत की शुरुआत: गणेश गौरी पूजन व्रत की शुरुआत माता गौरी की पूजा से होती है। व्रती व्यक्ति को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और शुद्ध रूप से ध्यान कर माता गौरी की पूजा करनी चाहिए।गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
महागणपति की पूजा: गणेश गौरी पूजन में महागणपति की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से विश्वनाथ स्वरूप महागणपति की पूजा से व्रत का फल अधिक मिलता है।
व्रत कथा कथन: पूजा के दौरान गणेश गौरी कथा कथन करना चाहिए। यह कथा व्रती व्यक्ति के द्वारा गौरी माता के सामने पढ़ी जाती है और इसका महत्वपूर्ण भाग है।गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
पूजा समापन: व्रत की पूजा समापन में माता गौरी की पूजा की जाती है। व्रती व्यक्ति अपनी भक्ति और प्रेम भावना से पूजा करते हैं और माता गौरी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गणेश गौरी पूजन का महत्व
गणेश गौरी पूजन का महत्वपूर्ण स्थान हिन्दू धर्म में है। यह पूजा भक्ति और परंपराओं का प्रतीक है और समाज में एकता और सद्गुणों की महत्वपूर्ण बात करती है। गणेश गौरी पूजन के माध्यम से विवाहित स्त्री अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं और ब्रह्मचारिणियाँ एक शुभ पति की प्राप्ति के लिए पूजा करती हैं।
गणेश गौरी पूजन की परंपराएँ
गणेश गौरी पूजन का पर्व प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। यह पूजा विशेष रूप से महिलाओं के बीच लोकप्रिय है और वे इसे बड़े श्रद्धा भावना से मनाती हैं। नारी शक्ति की प्रतीक मानी जाने वाली माता गौरी की पूजा को इस पर्व के माध्यम से बड़ा महत्व मिलता है।
निष्कर्ष
गणेश गौरी पूजन एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो भगवान गणेश और माता गौरी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। इस पूजा के माध्यम से व्रती व्यक्ति आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और समाज में एकता की भावना को मजबूती मिलती है।
अंतर्दृष्टि की दृष्टि
इस लेख के माध्यम से हमने गणेश गौरी पूजन के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की है। इस पूजा का महत्व, विधि,और परंपराएँ हमारे सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह पूजा हमें आपसी सद्भावना और सामाजिक एकता की महत्वपूर्ण बात सिखाती है।
व्रत नियम
गणेश गौरी पूजन का व्रत बड़े श्रद्धा भावना के साथ माना जाता है और इसमें कुछ महत्वपूर्ण नियम और आचरण होते हैं। यहां हम गणेश गौरी पूजन के व्रत नियमों की चर्चा करेंगे:गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
नियमित उपवास: गणेश गौरी पूजन के दिन व्रती व्यक्ति को नियमित उपवास का पालन करना चाहिए। यह व्रत उपासना का प्रतीक होता है और व्रती को अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए मदद करता है।
शुद्धि और पवित्रता: व्रती को व्रत के दिन अपने शरीर और मन की शुद्धि और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। व्रती को स्नान करना चाहिए और शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए।गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
मनोबल: व्रती को माता गौरी की उपासना के दौरान मनोबल बनाए रखना चाहिए। उन्हें श्रद्धा और आस्था के साथ पूजन करना चाहिए ताकि उनकी आराधना सही और सफल रूप से हो सके।
नियमित पूजा: व्रती को गणेश गौरी की नियमित पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय व्रती को विशेष ध्यान देना चाहिए और मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए।
आहार विशेषज्ञता: व्रत के दिन व्रती को विशेष ध्यान देने योग्य आहार का सेवन करना चाहिए। शाकाहारी आहार और फलों का सेवन करना चाहिए और तले हुए भोजन से बचना चाहिए।गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
आदर्श और सदगुण: गणेश गौरी पूजन के दिन व्रती को आदर्श और सदगुणों का पालन करना चाहिए। वे दयालुता,सहानुभूति,और धैर्य जैसे गुणों का आदर करने का प्रयास करें।
दान और चारित्रीयता: व्रती को गणेश गौरी के पर्व पर दान देने का भी विचार करना चाहिए। वे गरीबों और बच्चों को खाना खिलाकर उनकी सेवा कर सकते हैं और इस तरीके से दया और चारित्रीयता का संकेत दे सकते हैं।
इन व्रत नियमों का पालन करके व्रती व्यक्ति गणेश गौरी पूजन के दिन उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं और उनके जीवन में खुशियाँ और समृद्धि ला सकते हैं।
भगवान गणेश और माता गौरी का पूजन क्यों होता है?
गणेश और गौरी, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण देवी-देवताओं में से हैं जिनका पूजन और आराधना विशेष महत्व रखता है। इन दोनों के पूजन के पीछे कई कारण हैं जो हम यहां जानेंगे:
भगवान गणेश का पूजन:
विद्या और विज्ञान के प्रतीक: भगवान गणेश को विद्या और विज्ञान के प्रतीक के रूप में माना जाता है। उनकी कृपा से ही बुद्धिमत्ता और बुद्धिशाली गुण विकसित होते हैं।
आर्जव और आदर्श: गणेश भगवान की आराधना से यह सिख मिलती है कि व्यक्ति हो सहज होकर अपने स्वभाव में आदर्श रहे।
विघ्न नाशक: गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहते हैं क्योंकि उनकी पूजा से बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी दूर हो जाती हैं।
माता गौरी का पूजन:
आदिशक्ति का प्रतीक: माता गौरी को आदिशक्ति के रूप में पूजा जाता है, जिनकी कृपा से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
पतिव्रता और परिवार के महत्व का प्रतीक: माता गौरी का पूजन स्त्रियों को अपने पति के दीर्घायु की कामना करने का मार्ग दिखाता है और परिवार के महत्व को बल देता है।
करुणा और स्नेह की प्रतीक: माता गौरी की पूजा से स्नेह, करुणा, और धैर्य जैसे गुण विकसित होते हैं, जो हमें समाज में सही दिशा में बढ़ने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
गणेश और गौरी के पूजन से हम न केवल आध्यात्मिक विकास करते हैं, बल्कि ये हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता प्राप्त करने के उपाय भी सिखाते हैं। इसलिए, इन देवी-देवताओं के पूजन को करना हमारे जीवन को सफल और समृद्धि पूर्ण बनाने में मदद करता है।
गणेश पूजा क्यों अनिवार्य है?
गणेश पूजा हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे अनिवार्य माना जाता है। इसके पीछे कई कारण है जो हम यहां देखेंगे:
प्रारंभ का प्रतीक:
गणेश पूजा का आयोजन किसी भी पर्व या कार्य की शुरुआत में किया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, जिनकी कृपा से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। इसलिए, जब भी हम कोई नया काम या पर्व शुरू करते हैं, तो हम गणेश पूजा करके उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
आध्यात्मिक विकास का माध्यम:
गणेश पूजा से हम आध्यात्मिक दृष्टि से भी विकसित होते हैं। गणेश भगवान ज्ञान, विद्या, और बुद्धि के प्रतीक हैं, जिनकी कृपा से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। उनकी पूजा से हम आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में बढ़ते हैं और सही मार्ग पर चलते हैं।
संकट के समय की पूजा:
गणेश पूजा का आयोजन विभिन्न संकटों और मुश्किलों के समय किया जाता है। गणेश भगवान की कृपा से हम संकटों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और जीवन की समृद्धि और खुशियाँ प्राप्त कर सकते हैं।
परंपरागत आदत:
गणेश पूजा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह परंपरागत आदत के रूप में प्रत्येक परिवार में अनुसरण की जाती है। यह पूजा हमें हमारी संस्कृति और धरोहर के महत्व को समझाती है और हमें आदर्शों की दिशा में चलने का मार्ग दिखाती है।
इन सभी कारणों से, गणेश पूजा को हिन्दू धर्म में अनिवार्य माना जाता है। यह हमें न केवल सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है, बल्कि हमारे आध्यात्मिक और सामाजिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गणेश गौरी व्रत
गणेश गौरी व्रत एक प्रमुख हिन्दू परंपरागत व्रत है जो भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत भारत में विभिन्न प्रांतों में उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है और महिलाएं इस व्रत का विशेष रूप से पालन करती हैं।
व्रत का महत्व:
गणेश गौरी व्रत को भगवान गणेश और माता पार्वती के दिव्य संबंध को याद करने के रूप में माना जाता है। इस व्रत के द्वारा भक्त विवाह सुख और परिवार की खुशियों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही यह व्रत महिलाओं की समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रतिष्ठित करता है और उनके सुरक्षा और समृद्धि की कामना करता है।
गणेश गौरी व्रत को गणेश चतुर्थी के दिन से प्रारंभ किया जाता है और यह दस दिनों तक चलता है। व्रत के दौरान महिलाएं सुबह स्नान करके विशेष रूप से सज-संवरकर भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
व्रत के दिन व्रतिनी और उनके साथी महिलाएं व्रत कथा का पाठ करती हैं जो गणेश और गौरी की कथा को सुनाती है। इसके बाद गणेश जी और माता गौरी की मूर्तियों की पूजा की जाती है और उन्हें फूल, दीप, धूप, और नैवेद्य से आराधना की जाती है।
व्रत के अंत में व्रतिनी व उनके साथी देवी-देवताओं के आशीर्वाद की प्रार्थना करती हैं और फिर व्रत को खोलती हैं। इसके बाद व्रतिनी के हाथों में पानी और अर्घ्य देते हुए उनके साथी महिलाएं व्रत की सफलता की कामना करती हैं।
उपयुक्तता और लाभ:
गणेश गौरी व्रत को आत्म-निर्भरता, परिवार के महत्व, और धार्मिकता की भावना को प्रकट करने का माध्यम माना जाता है। यह व्रत महिलाओं को समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का आदर्श दिखाता है और उन्हें परिवार की खुशियों के लिए प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही यह व्रत भगवान गणेश और माता पार्वती के प्रति भक्ति और श्रद्धा को भी बढ़ावा देता है।
इस प्रकार, गणेश गौरी व्रत हिन्दू धर्म की महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है जो महिलाओं को समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है और उनके परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करता है। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी भारत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहारों में से एक है, जो भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए आयोजित किया जाता है। यह उत्सव भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और हिन्दू धर्म के अनुयायियों के बीच विशेष महत्व रखता है।
त्योहार का महत्व:
गणेश चतुर्थी को गणपति स्थापना के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति या प्रतिमा की स्थापना की जाती है। यह उत्सव भगवान गणेश के आदर्शों और गुणों की स्मृति में मनाया जाता है और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना की जाती है।
त्योहार की धूप-दीप आराधना:
गणेश चतुर्थी के दिन भक्त अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा की स्थापना करते हैं। उनके लिए यह एक आदर्श और शुभ कार्य होता है, जिससे वे अपने घर में शुभता और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं। गणेश जी की पूजा में धूप, दीप, फूल, नैवेद्य आदि से आराधना की जाती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
परिवारों में आत्मिक भावना:
गणेश चतुर्थी के उत्सव को परिवारों के बीच एक विशेष सामाजिक और पारिवारिक आयोजन के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ आकर गणेश जी की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इससे परिवार की एकता, भागीदारी और सद्गुणों की महत्वपूर्णता का संदेश सामाजिक रूप से प्रसारित होता है।
प्रसाद वितरण और गणेश विसर्जन:
गणेश चतुर्थी के दिन भक्त गणेश जी की पूजा के बाद मिठाई, प्रसाद और विभिन्न खाने-पीने की चीजें बनाते हैं और उन्हें भगवान के प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं। इसके बाद गणेश जी की मूर्ति को विशेष धूप और दीपों की आराधना के साथ विसर्जन के लिए ले जाते हैं। यह विसर्जन समापन में होता है और लोग गणेश जी के आशीर्वाद की कामना करते हैं।
गणेश चतुर्थी का उत्सव एक पर्याप्त उदाहरण है कि कैसे हिन्दू धर्म के त्योहार न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि सामाजिक, पारिवारिक और सांस्कृतिक मानवता के प्रति भावनाओं को प्रकट करने का भी साधन होते हैं।
भगवान गणेश के भोग
भगवान गणेश के भोग का महत्वपूर्ण स्थान हिन्दू धर्म में है, क्योंकि वे सभी भक्तों के आदर्श और वरदानकर्ता माने जाते हैं। उनके भोग का अर्थ होता है उन्हें विभिन्न प्रकार के आहार और प्रसादों से आराधना करना जिससे उनकी प्रसन्नता और कृपा प्राप्त हो।
प्रसाद का महत्व:
भगवान गणेश के भोग को प्रसाद के रूप में पूजा और आराधना करने का कार्य अधिकांश हिन्दू घरों में किया जाता है। यह एक धार्मिक और आध्यात्मिक प्रथा है जिससे भक्त भगवान की प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्राप्त करते हैं।
विभिन्न प्रकार के भोग:
भगवान गणेश के भोग में विभिन्न प्रकार के आहार और प्रसाद शामिल होते हैं। कुछ प्रमुख आहार जो उनके भोग में शामिल होते हैं, वे निम्नलिखित हैं:
मोदक: मोदक भगवान गणेश के प्रिय भोग के रूप में जाने जाते हैं। यह एक मिठी मिलावटी काजू और खोपरे की गोली होती है जिसे प्रसाद के रूप में बनाया जाता है। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
पन्ना: पन्ना भगवान गणेश के भोग में एक प्रमुख आहार होता है। यह धनिया, हरा मिर्च, निम्बू आदि से बनता है और उनके प्रसाद के रूप में आराधना किया जाता है। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
फल: भगवान गणेश के भोग में फल भी शामिल होते हैं जैसे कि केला, सेब, आदा
हर वर्ष भगवान गणेश के कितने पर्व आते हैं?
हर वर्ष में भगवान गणेश के दो महत्वपूर्ण पर्व आते हैं जिनका आयोजन किया जाता है – गणेश चतुर्थी और गणेश जयंती। ये पर्व भगवान गणेश के जीवन और महत्व की याद में मनाए जाते हैं और हिन्दू समुदाय के लोग इन्हें उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं।
गणेश चतुर्थी:
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। इस पर्व को भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति घरों और मंदिरों में स्थापित की जाती है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। लोग धूप, दीप, फूल, मोदक, दूध, घी, खीर आदि से उनकी आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
गणेश जयंती:
गणेश जयंती भगवान गणेश के जन्म की अन्य महत्वपूर्ण तिथि है जो माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और आराधना की जाती है और उनके गुणों और महत्व की महिमा गाई जाती है।
सारांगपूर्णिमा:
भगवान गणेश के एक और पर्व का आयोजन कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को होता है, जिसे सारांगपूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गणेश जी की पूजा और आराधना की जाती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
इस प्रकार, हर वर्ष भगवान गणेश के तीन महत्वपूर्ण पर्वों का आयोजन होता है जो उनके जीवन, महत्व और गुणों की स्मृति में मनाए जाते हैं।
गणेश जी के पर्वों के अलावा, उनकी पूजा और आराधना कई अन्य महत्वपूर्ण उपायों में भी की जाती है। कुछ लोग रोज़ाना भगवान गणेश के नाम का जाप करते हैं जो उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह नामजाप उनके श्रद्धाभक्तों के द्वारा उनके गुणों की महिमा का उद्घाटन करता है।
गणेश जी की पूजा में उनके 108 नामों का पाठ करना भी प्रसिद्ध है, जिससे भक्त उनके विभिन्न रूपों और गुणों की महत्वपूर्णता को समझते हैं। इसके साथ ही गणेश अथवा विघ्नहर्ता के भजन और आरती गाने से भक्तिभाव और शांति मिलती है।
गणेश जी के पर्वों और उनकी पूजा के अलावा उनके कथाओं और लीलाओं का पाठ करना भी महत्वपूर्ण है। इनकी कथाएं और लीलाएं हमें उनके दिव्यता और गुणों के प्रति आदर्श दिखाती हैं और हमें उनके मार्गदर्शन में रहने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।
गणेश जी की पूजा और आराधना का अर्थ निरंतर उनके गुणों का स्मरण करते रहने में है और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहने में है।
इस प्रकार, भगवान गणेश के अलावा भी उनके भक्तों के लिए अनेक तरीके हैं जिनसे वे उनके आदर्शों का अनुसरण कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद में समर्पित हो सकते हैं। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
गणेश मंत्र (संस्कृत में)
गणेश मंत्र हिन्दू धर्म में भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए उपयोग होने वाले प्रमुख मंत्र हैं। ये मंत्र उनके आदर्शों को स्मरण करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम होते हैं।
गणपति मंत्र:ॐ गं गणपतये नमः
वक्रतुण्ड मंत्र:
ॐ नमो वक्रतुण्डाय।
गणेश अष्टोत्तरशतनाम मंत्र:
ॐ गणानां त्वा गणपतिं गुंग हवामहे।
वक्रतुण्ड श्लोक:
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गणपति आरती मंत्र:
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
ये मंत्र भगवान गणेश की उपासना और पूजा में उपयोग किए जाते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रयासरत भक्तों द्वारा प्रयुक्त होते हैं।
गणेश उत्सव, हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी लगभग दस दिनों तक चलता है इसका आयोजन महाराष्ट्र के पुणे में बड़ी धूम- धाम से किया जाता है |
अगर आप गणेश उत्सव का आयोजन अपने घर में कर रहे हो तो आपको पंडित की आवश्यता होगी |
वह पंडित जो सभी वैदिक रीती – रिवाज को भली- भांति जानने वाला हो साथ ही विशेषकर वह जो संस्कृत और हिन्दू विधि, धर्म, संगीत या दर्शनशास्त्र में सक्षम हो |
हम आचार्य विशेषज्ञों और पेशेवरों की एक ऐसी टीम हैं जो आपको गणेश उत्सव जैसे धार्मिक- अनुष्ठान और किसी भी प्रकार के शुभ व अशुभ कार्यो को एक ही छत के नीचे पूरा करने के लिए समावेशी पैकेज पेश करते हैं। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
आप गणेश उत्सव हेतु आचार्य के माध्यम से अपना पंडित आसानी से बुक कर सकते हो यहाँ बुकिंग प्रणाली इतनी आसान है की कोई भी व्यक्ति अपनी सामान्य जानकारी का विवरण देकर आसानी से बुक कर सकता है |
हमारी बुकिंग प्रणाली इतनी आसान है की आप घर बैठे हमारी वेबसाइट पर पंजीकरण करते हैं तो उन्हें अपनी इच्छित पूजा या गणेश उत्सव जैसे धार्मिक समागम कराने के लिए अनुभवी और पेशेवर पंडित मिल जाते हैं।
मंत्र कवच द्वारा प्रदान की गई सेवा आपको संतुष्ट करेगी और सभी धार्मिक गतिविधियों को करने में मानसिक शांति प्रदान करेगी | गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
हम इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहते है | आपका विश्वास ही हमें ऊर्जावान बनाता है |
गणेश उत्सव को पुरे विधि- विधान के साथ संपन्न करने के लिए हमें निचे दी गयी सामग्री की आवश्यकता रहेगी :-
सामग्री मात्रा
रोली 1 पैकेट
कलावा (मौली) 2 पैकेट
सिंदूर 1 पैकेट
लौंग 1 पैकेट
इलायची 1 पैकेट
सुपारी 11 नग शहद 1 शीशी
इत्र 1 शीशी
गंगाजल 1 शीशी
गुलाब जल 1 बड़ी बोतल
अबीर 1 पैकेट
गुलाल 1 पैकेट
हल्दी 50 ग्राम
गरिगोला 1 नग
पानी नारियल 1 पैकेट
लाल कपड़ा आधा मीटर
पिली सरसों 50 ग्राम
कलश 1 (अगर कोई धातु का कलश घर पर हो तो ना खरीदे )
सकोरा 04 नग
दियाली 15 नग
जनेऊ 4 नग
माचिस 1 नग
नवग्रह चावल 1 पैकेट
धूपबत्ती 1 पैकेट
कपूर 50 ग्राम
रूईबत्ती गोल वाली 1 पैकेट
देशी घी 500 ग्राम
आम का लकड़ी 2 किलो
पानी का नारियल 2 नग
पिली सरसो 50 ग्राम
चावल 09 या 11 किलो
नवग्रह समिधा 1 पैकेट
हवन सामग्री 500 ग्राम
फूल, फूलमाला,दूर्वा, दूर्वा की माता, फल , मिठाई , –
पान के पते 5 नग
पञ्चामृत, मोदक, विशेष व्यंजन का भोग नित्य –विशेष :- जिन सज्जनों को हवन नहीं करवाना है ,उन्हें नवग्रह समिधा हवन सामग्री व आम का लकड़ी लेने की आवश्यकता नहीं होती है |
इसके अलावा इस बात का भी विशेष ध्यान रखें की गणेश जी की प्रतिमा जो आप खरीद रहे हो वो सूंदर हो, खंडित न हो ,मूषक साथ हो तथा पानी में विसर्जन के बाद पानी में आसनी घुलनशील हो | गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
गणेश उत्सव मनाने की विधि
गणेश उत्सव का आयोजन शुरू करने से पहले पूजा का आरंभ करें। इसके लिए एक सुगंधित मंदिर या पूजा स्थल तैयार करें जहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
तत्पश्चात गणेश जी की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें। मूर्ति को स्वच्छ और सुंदर रखें। इसके लिए पुष्प, दीपक, रोली, अक्षत, दूप, लाल वस्त्र, देवी-देवताओं के पुष्प, नागदेवता की मूर्ति, नागदेवता की पुष्पों आदि को लगाएं। श्री गणेश जी की पूजा के लिए विधि के अनुसार घी दिया, पुष्प,अक्षत, रोली, लाल वस्त्र, मिठाई, फल, आदि का आयोजन करें।
गणेश चालीसा, आरती और मंत्रों का जाप करें। भक्तों को भगवान गणेश की प्रसाद भंडार करें। गणेश उत्सव को परिवार के साथ मनाएं। व्रत का पालन करें और गणेश जी के भजन गाएं। यह साथ मिलकर अनुष्ठान करने से उत्सव का महत्व और आनंद बढ़ता है। गणेश उत्सव में दोस्तों, परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों को निमंत्रण दें।
सभी को आपके घर में स्वागत करें और उन्हें गणेश जी की पूजा दर्शन का आनंद दें इसके बाद आप गणेश उत्सव का अवसान करते समय मूर्ति को नदी, झील या समुद्र में विसर्जित करें। गणेश विसर्जन में सभी लोग मिलकर गणेश जी के प्रतिष्ठान को पानी में ले जाते हैं और विदाई करते हैं।गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
भगवान श्री गणेश के बारह नाम और उनके अर्थ
भगवान गणेश को प्रथम पूजन देव के रूप में माना जाता है | भगवान श्री गणेश के नाम मात्र स्मरण से ही सभी कार्य अपने आप विघन सम्पन्न होने लगते है| कहते है की भगवान श्री गणेश को के इन 12 नामों का अगर कोई व्यक्ति सुबह- श्याम उच्चारण करता है तो उसके रुके हुए कार्य में आने वाली बाधा अपने आप हल होने लगती है |
तथा व्यक्ति कष्ट व परेशानियों से मुक्त होने लगता है | विवाह के समय, यात्रा , रोजगार के शुभारम्भ में या अन्य किसी भी शुभ कार्य को करते समय गणेश के ये 12 नाम मात्र लेने से कार्यो में आने वाली सब अड़चने दूर हो जाती है।
भगवान गणेश के इन बारह नामों को संकटनाशक स्त्रोत भी कहा जाता है क्यों की ये 12 नाम विपरीत परिस्थितियों में हमारे लिए रक्षा सूत्र की भांति कार्य करते है |
ये 12 नाम निम्न है सुमुख– सुन्दर मुख वाले लम्बोदर -लम्बे पेट वाले विधनहर्ता – विधन को हरने वाले एकदंताय– एक दन्त वाले विनायक – न्याय करने वाले कपिल-कपिल वर्ण वाले विकट – विपत्ति का नाशक गजानन– हाथी के सामान मुख वाले धूम्रकेतु–धुये के रंग वाली पताका वाले भालचन्द्राय– चन्द्रमा के सामान मस्तक वाले गणाध्यक्ष– गुणों के अध्यक्ष | विघननाशक – विधानों का नाश करने वाले |
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निष्कर्ष:-
गणेश चतुर्थी की इस पावन अवसर पर अगर आप अपने घर- परिवार मे गणेश उत्सव की सम्पूर्ण तैयारी पूरी रीती- रिवाजों के साथ सपन्न करवाना चाहते हो तो मंत्र कवच आपको इस हेतु महत्वपूर्ण पंडित सेवा प्रदान करवाता है साथ ही साथ आपके घर- परिवार में सुख- समृद्धि बने रहने की कामना करता है |
विशेष:- अब आप मंत्र कवच ऑनलाइन प्लेटफार्म से किसी भी धार्मिक -अनुष्ठान जैसे रामकथा पाठ, अखंड रामायण पाठ,श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा को संपन्न करवाने में प्रयूक्त होने वाली सामग्री की सूचि भी प्राप्तकर सकेंगे |
मंत्र कवच ऑन लाइन सर्विस के माध्यम से अपना पंडित बुक करने पर आपको इस गणेश महोत्सव पर भारी छूट मिल सकती है | इसकी अतिरिक्त अगर आपको पंडित बुकिंग में किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें आप हमें व्हाट्सएप्प या ईमेल के द्वारा भी अपने सुझाव भेज सकते है, आपके सुझाव आमंत्रित है |
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गणेश चौथ में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर
परिचय
गणेश चौथ, जिसे व्रत महत्वपूर्ण और प्रिय व्रतों में से एक माना जाता है, भारतीय हिन्दू समाज में विशेष रूप से महिलाओं के बीच महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
इस दिन माता पार्वती ने भगवान गणेश की पूजा करके उनसे वरदान मांगा था कि वह हमेशा मातृ सेवा में लगे रहें। इस पवित्र दिन के मौके पर, लोग व्रत और पूजा के साथ-साथ गणेश चौथ से संबंधित विभिन्न प्रश्नों का समाधान ढूंढने में जुटते हैं। इस लेख में, हम गणेश चौथ के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत करेंगे।
क्या गणेश चौथ व्रत केवल महिलाओं के लिए होता है?
नहीं, गणेश चौथ व्रत केवल महिलाओं के लिए नहीं होता है। यह व्रत समाज में पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा माना जाता है। इस व्रत के माध्यम से लोग भगवान गणेश की आराधना करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और खुशियों और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं।
क्या गणेश चौथ का व्रत व्रत संबंधित सभी लोगों के लिए उपयुक्त है?
जी हां, गणेश चौथ का व्रत सभी लोगों के लिए उपयुक्त है, चाहे वो विवाहित हों या अविवाहित।
विवाहित लोग अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं, जबकि अविवाहित लोग अपने आनेवाले पति की तलाश में होते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करते हैं।
क्या गणेश चौथ व्रत केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए होता है?
नहीं, गणेश चौथ व्रत का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं होता है।
यह व्रत व्यक्तिगत और पारिवारिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना को भी दर्शाता है। लोग इस व्रत के माध्यम से अपने जीवन में खुशियों को आमंत्रित करते हैं और भगवान गणेश से उनके सपनों की पूर्ति की कामना करते हैं।
क्या गणेश चौथ का व्रत केवल हिन्दू धर्म के लोगों के लिए होता है?
जी नहीं, गणेश चौथ का व्रत केवल हिन्दू धर्म के लोगों के लिए ही नहीं होता है। यह व्रत भारतीय समाज के विभिन्न धर्मों में जैसे कि जैन और सिख आदि में भी महत्वपूर्ण है।
विभिन्न सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ, यह व्रत समाज की एकता और बंधन को प्रकट करता है।
कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
गणेश चौथ की तैयारियाँ करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. व्रत की तारीख और समय
गणेश चौथ की तारीख और समय को आपके आस-पास के पंचांग या कैलेंडर से जानना महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार आपको व्रत की तैयारियों को आगे बढ़ाना चाहिए। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
2. व्रत से संबंधित सामग्री
व्रत की तैयारियों के लिए आपको पूरे व्रत से संबंधित सामग्री जैसे कि व्रत की कढ़ाई, चावल, मिठाई, फल, आदि को एकत्र करना होगा।
3. पूजा सामग्री
व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए आपको विशेष पूजा सामग्री जैसे कि दीपक, धूप, अगरबत्ती, फूल आदि की तैयारी करनी होगी।
समापन
गणेश चौथ एक महत्वपूर्ण और प्रिय व्रत है जो भारतीय समाज में विशेष रूप से महिलाओं के बीच में प्रसिद्ध है। इस व्रत के द्वारा लोग भगवान गणेश की आराधना करके उनके आशीर्वाद से लाभ प्राप्त करते हैं और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं।
इसके साथ ही, यह व्रत समाज की एकता को प्रकट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
गणेश चौथ कितने दिनों का होता है
परिचय
गणेश चौथ, जिसे हम उपवास और पूजा के साथ मनाने वाले प्रमुख हिन्दू त्योहारों में से एक मानते हैं, एक खास महत्व रखता है। यह विशेषतः भारतीय महिलाओं के बीच लोकप्रिय है और इसका महत्व समाज में भी अद्वितीय है।
गणेश चौथ के दिन महिलाएं भगवान गणेश की पूजा कर उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करने का आयोजन करती हैं। गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
गणेश चौथ का आयोजन
गणेश चौथ का आयोजन हिन्दू पंचांग के अनुसार किया जाता है और यह शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि को आता है। यह व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आयोजित होता है, जो सावन मास के बाद आता है।
गणेश चौथ के दिन व्रत करने वाली महिलाएं उपवास रखकर सुबह से ही गणेश जी की पूजा करती हैं और उनकी कथा का पाठ करती हैं। इसके बाद व्रत का आयोजन किया जाता है और व्रत की सामग्री में सावन के फल, फूल, चावल, मिठाई आदि शामिल होती है।
गणेश चौथ के महत्व
गणेश चौथ का महत्वपूर्ण धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से है। इस दिन महिलाएं भगवान गणेश की पूजा कर उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करने के साथ ही अपने पति के दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं।
यह व्रत समाज में सामाजिक एकता और विशेष बंधन को मजबूती देने का एक सशक्त माध्यम भी है।गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
गणेश चौथ के व्रत में उपवास का महत्व
गणेश चौथ के दिन व्रत करने वाली महिलाएं पूरे दिन बिना खाने-पीने के उपवास रखती हैं। यह उनके आत्म-निग्रह की प्रक्रिया होती है और इससे उनकी आत्मा में शुद्धि होती है। व्रत के दौरान व्रत करने वाली महिलाओं को सिर्फ एक बार भोजन करने की अनुमति होती है, जिसमें व्रत की सामग्री शामिल होती है।
गणेश चौथ का उद्देश्य
गणेश चौथ का उद्देश्य न केवल धार्मिक होता है, बल्कि यह एक पत्नी के पति के प्रति अपनी प्रेम भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम भी होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और समृद्धि की प्राप्ति के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना करती हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करती हैं।
समापन
गणेश चौथ, जिसे व्रत और पूजा के साथ मनाने वाले हिन्दू त्योहारों में से एक माना जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह व्रत महिलाओं के लिए उनके पति के दीर्घायु और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करने का एक माध्यम है और इसके साथ ही समाज में एकता और बंधन को मजबूती देने का भी एक तरीका है।गणेश गौरी पूजन सरल विधि/Ganesh Chauth Poojan/कैसे करें गणेश चौथ की तैयारियाँ?
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