दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित Dainik Poojan vidhi mantra Sahit

इस अध्याय में हमने कोशिश की है की आप सभी को सरलतम से सरलतम तरीके (विधि) द्वारा दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित बताया है, एवं उम्मीद करते है की यह दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit आपके लिए अत्यधिक सरल व उपयोगी होगा |

दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित | Dainik Poojan vidhi mantra Sahit

दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit
दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit

 

मंन्त्र –

ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः, ॐ महः ॐ जनः, ॐ तपः ॐ सत्यम्।

ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्। ॐ आपो ज्योती रसोऽमृतं ब्रह्म भूर्भुवः स्वरोम्।

दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit

  • प्रत्येक पूजारंभ के पूर्व निम्नांकित आचार-अवश्य करने चाहिये- आत्मशुद्धि, आसन शुद्धि, पवित्री धारण, पृथ्वी पूजन, संकल्प, दीप पूजन, शंख पूजन, घंटा पूजन, स्वस्तिवाचन आदि.
  • भूमि, वस्त्र आसन आदि स्वच्छ व शुद्ध हों.
  • आवश्यकतानुसार चौक, रंगोली, मंडप बना लिया जाये.
  • मान्यता अनुसार मुहूर्त आदि का विचार किया जा सकता है.
  • यजमान पूर्वाभिमुख बैठे, पुरोहित उत्तराभिमुख.
  • विवाहित यजमान की पत्नी पति के साथ ग्रंथिबन्धन कर पति की वामंगिनी के रूप में बैठे.
  • पूजन के समय आवश्यकतानुसार अंगन्यास, करन्यास, मुद्रा आदि का उपयोग किया जा सकता है.
    औचित्यानुसार विविध देव प्रतीक भी बनाये जा सकते हैं, “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

जैसे-

33 कोटि देवता

8 वसु= अग्नि,पृथ्बी,वायु,अन्तरिक्ष,आदित्य,द्योहो,चंद्रमा,नक्षत्र

11 रूद्र=प्राण,अपान,व्यान,समान,उदान,नाग,कूर्म,कृकल,देवदत्त,धनञ्जय,जीवात्मा

1 इंद्र= बिजुली

1 प्रजापति =यग्य

12 आदित्य

सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit
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त्रिदेव,
नवदुर्गा
एकादश रुद्र
नवग्रह,
दश दिक्पाल,
षोडश लोकपाल
सप्तमातृका,
दश महाविद्या
बारह यम
आठ वसु
चौदह मनु
सप्त ऋषि
घृतमातृका
दश अवतार
चौबीस अवतार
आदि

ध्यातव्य है कि पूजन के इस प्रकरण के अभ्यास से संकल्प विशेष का परिवर्तन करके विविध पूजा के आयोजन सामान्य रूप से कराये जा सकते हैं।

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गणेशाम्बिका पूजन
(पञ्चाङ्ग पूजा विधि)

आचमन- (आत्म शुद्धि के लिए) MantraKavach.com

ॐ केशवाय नमः,
ॐ नारायणाय नमः,
ॐ माधवाय नमः।
तीन बार आचमन कर आगे दिये मंत्र पढ़कर हाथ धो लें।
ॐ हृषीकेशाय नमः।।
पुनः बायें हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर निम्न श्लोक पढ़ते हुए छिड़कें।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु।

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 प्राणायाम

शास्त्रों में प्राणायाम करने के लिए भी कहा गया है। क्योंकि प्रणाम करने से शरीर के आंतरिक पाप सब खत्म हो जाते हैं। इसलिए प्राणायाम अवश्य करना चाहिए।
प्राणायाम करने से पूर्व इस मंत्र का पाठ करना चाहिए।

मंन्त्र – ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः, ॐ महः ॐ जनः, ॐ तपः ॐ सत्यम्। ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्। 
ॐ आपो ज्योती रसोऽमृतं ब्रह्म भूर्भुवः स्वरोम्।

अगर किसी कारण इस मंत्र का जप ना कर पाए, तो आप 3 बार गायत्री मंत्र का जप करके फिर प्राणायाम करें। प्राणायाम के तीन भेद होते हैं।

1. पूरक, 2. कुंभक, 3. रेचक

(1) दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दाहिने छिद्र से श्वास को धीरे-धीरे खींचने को पूरक प्राणायाम कहते हैं। इस प्राणायाम को करते समय भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।

(2) जब सांस खींचना रुक जाए, तब अनामिका या कनिष्ठा उंगली से नाक के बाएं छिद्र को दबा दें। मंत्र जपते रहें। यह कुंभक प्राणायाम कहा जाता है। इस प्राणायाम को करते समय ब्रह्मा जी का ध्यान करना चाहिए। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

(3) अंगूठे को नाक के दाहिने छिद्र से श्वास को धीरे धीरे छोड़ें। इस प्राणायाम को रेचक प्राणायाम कहा जाता है। इस प्राणायाम को करते समय शंकर जी का ध्यान करना चाहिए।

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आसन शुद्धि-

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नीचे लिखा मंत्र पढ़कर आसन पर जल छिड़के-
ॐ पृथ्वि! त्वया धृता लोका देवि ! त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि ! पवित्रां कुरु चासनम्।।

शिखाबन्धन-
सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit
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ॐ मानस्तोके तनये मानऽआयुषि मानो गोषु मानोऽअश्वेषुरीरिषः।
मानोव्वीरान् रुद्रभामिनो व्वधीर्हविष्मन्तः सदमित्त्वा हवामहे ॐ चिद्रूपिणि महामाये दिव्यतेजः समन्विते।
तिष्ठ देवि शिखाबद्धे तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे।।

कुश धारण-

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निम्न मंत्र से बायें हाथ में तीन कुश तथा दाहिने हाथ में दो कुश धारण करें।
ॐ पवित्रोस्थो वैष्णव्यौ सवितुर्व्वः प्रसवऽउत्पुनाम्यच्छिद्रेण पवित्रोण सूर्यस्य रश्मिभिः।
तस्य ते पवित्रपते पवित्रपूतस्य यत्कामः पुनेतच्छकेयम्।
पुनः दायें हाथ को पृथ्वी पर उलटा रखकर “ॐ पृथिव्यै नमः” इससे भूमि की पञ्चोपचार पूजा का आसन शुद्धि करें।

यजमान तिलक-

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पुनः ब्राह्मण यजमान के ललाट पर कुंकुम तिलक करें।
ॐ आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवा मरुद्गणाः।
तिलकान्ते प्रयच्छन्तु धर्मकामार्थसिद्धये।

स्वत्ययन

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उसके बाद यजमान आचार्य एवं अन्य ऋत्विजों के साथ हाथ में पुष्पाक्षत लेकर स्वस्त्ययन पढ़े।

सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit
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ॐ आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासोऽ परीतास उद्भिदः।
देवा नो यथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवे दिवे।।
देवानां भद्रा सुमतिर्ऋजूयतां देवाना ँ रातिरभि नो निवर्तताम्।
देवाना ँ सख्यमुपसेदिमा व्वयं देवा न आयुः प्रतिरन्तु जीवसे।।
तान्पूर्वया निविदा हूमहे वयं भगं मित्रामदितिं दक्षमश्रिधम्।
अर्यमणं वरुण ँ सोममश्विना सरस्वती नः सुभगा मयस्करत्।।
तन्नो व्वातो मयोभु वातु भेषजं तन्माता पृथिवी तत्पिता द्यौः।
तद् ग्रावाणः सोमसुतो मयोभुवस्तदश्विना शृणुतं धिष्ण्या युवम्।।
तमीशानं जगतस्तस्थुषस्पतिं धियञ्जिन्वमवसे हूमहे वयम्।
पूषा नो यथा वेदसामसद् वृधे रक्षिता पायुरदब्धः स्वस्तये।।
स्वस्ति न: इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।।
पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभं यावानो विदथेषु जग्मयः।
अग्निर्जिह्ना मनवः सूरचक्षसो विश्वे नो देवा अवसागमन्निह।।
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवा ँ सस्तनुभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः।।
शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्चक्रा जरसं तनूनाम्।
पुत्रसो यत्रा पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः।।
अदितिर्द्यौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्राः।
विश्वे देवा अदितिः पञ्चजना अदितिर्जातमदितिर्जनित्वम्।।
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष Ủ शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिर्व्वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्मशान्तिः सर्वं Ü शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सामा शान्तिरेधि।।
यतो यतः समीहसे ततो नोऽअभयं कुरू।
शं नः कुरु प्रजाभ्योऽभयं नः पशुब्भ्यः।। सुशान्तिर्भवतु।।

सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit
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हाथ में लिए पुष्प और अक्षत गणेश एवं गौरी पर चढ़ा दें। पुनः हाथ में पुष्प अक्षत आदि लेकर मंगल श्लोक पढ़े।
श्रीमन्महागणाधिपतये नमः।
लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः।
उमामहेश्वराभ्यां नमः।
वाणीहिरण्यगर्भाभ्यां नमः।
शचीपुरन्दराभ्यां नमः।
मातापितृचरणकमलेभ्यो नमः।
इष्टदेवताभ्यो नमः।
कुलदेवताभ्यो नमः।
ग्रामदेवताभ्यो नमः।
वास्तुदेवताभ्यो नमः।
स्थानदेवताभ्यो नमः।
सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः।
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः।
विश्वेशं माधवं ढुण्ढिं दण्डपाणिं च भैरवम् ।
वन्दे काशीं गुहां गङ्गां भवानीं मणिकर्णिकाम् ।। 1।।
वक्रतुण्ड ! महाकाय ! कोटिसूर्यसमप्रभ ! ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव ! सर्वकार्येषु सर्वदा ।। 2।।
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः ।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः ।। 3।।
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः ।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि ।। 4।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा ।
सङ्ग्रामे सङ्कटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते ।। 5।।
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ।। 6।।
अभीप्सितार्थ-सिद्धîर्थं पूजितो यः सुराऽसुरैः ।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नमः ।। 7।।
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ! ।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणि ! नमोऽस्तु ते ।। 8।।
सर्वदा सर्वकार्येषु नास्ति तेषाममङ्गलम् ।
येषां हृदिस्थो भगवान् मङ्गलायतनो हरिः ।। 9।।
तदेव लग्नं सुदिनं तदेव ताराबलं चन्द्रबलं तदेव ।
विद्यावलं दैवबलं तदेव लक्ष्मीपते तेऽङ्घ्रियुगं स्मरामि।। 10।।
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः ।
येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः ।। 11।।
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः ।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिध्र्रुवा नीतिर्मतिर्मम ।।12।।
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते ।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ।। 13।।
स्मृतेः सकलकल्याणं भाजनं यत्र जायते ।
पुरुषं तमजं नित्यं ब्रजामि शरणं हरिम् ।। 14।।
सर्वेष्वारम्भकार्येषु त्रयस्त्रिभुवनेश्वराः ।
देवा दिशन्तु नः सिद्धिं ब्रह्मेशानजनार्दनाः ।। 15।।
हाथ में लिये अक्षत-पुष्प को गणेशाम्बिका पर चढ़ा दें।

संकल्प

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दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प और द्रव्य लेकर संकल्प करे।

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः ॐ स्वस्ति श्रीमन्मुकन्दसच्चिदानन्दस्याज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य ब्रह्मणो द्वितीये परार्धे एकपञ्चाशत्तमे वर्षे प्रथममासे प्रथमपक्षे प्रथमदिवसे द्वात्रिंशत्कल्पानां मध्ये अष्टमे श्रीश्वेतबाराहकल्पे स्वायम्भुवादिमन्वतराणां मध्ये सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे कृत-त्रोता-द्वापर- कलिसंज्ञानां चतुर्युगानां मध्ये वर्तमाने अष्टाविंशतितमे कलियुगे तत्प्रथमचरणे तथा पञ्चाशत्कोटियोजनविस्तीर्ण-भूमण्डलान्तर्गतसप्तद्वीपमध्यवर्तिनि जम्बूद्वीपे तत्रापि श्रीगङ्गादिसरिद्भिः पाविते परम-पवित्रे भारतवर्षे आर्यावर्तान्तर्गतकाशी-कुरुक्षेत्र-पुष्कर-प्रयागादि-नाना-तीर्थयुक्त कर्मभूमौ मध्यरेखाया मध्ये अमुक दिग्भागे अमुकक्षेत्रे ब्रह्मावर्तादमुकदिग्भागा- वस्थितेऽमुकजनपदे तज्जनपदान्तर्गते अमुकग्रामे श्रीगङ्गायमुनयोरमुकदिग्भागे श्रीनर्मदाया अमुकप्रदेशे देवब्राह्माणानां सन्निधौ श्रीमन्नृपतिवीरविक्रमादित्य-समयतोऽमुक संख्यापरिमिते प्रवर्तमानवत्सरे प्रभवादिषष्ठिसम्वत्सराणां मध्ये अमुकनाम सम्वत्सरे, अमुकायने, अमुकगोले, अमुकऋतौ, अमुकमासे, अमुकपक्षे, अमुकतिथौ, अमुकवासरे, यथांशकलग्नमुहूर्तनक्षत्रायोगकरणान्वित.अमुकराशिस्थिते श्रीसूर्ये, अमुकराशिस्थिते चन्द्रे, अमुकराशिस्थे देवगुरौ, शेषेषु ग्रहेषु यथायथाराशिस्थानस्थितेषु, सत्सु एवं ग्रहगुणविशिष्टेऽस्मिन्शुभक्षणे अमुकगोत्रोऽमुकशर्म्मा वर्मा-गुप्त-दास सपत्नीकोऽहं श्रीअमुकदेवताप्रीत्यर्थम् अमुककामनया ब्राह्मणद्वारा कृतस्यामुकमन्त्रपुरश्चरणस्य सङ्गतासिद्धîर्थ- ममुकसंख्यया परिमितजपदशांश-होम-तद्दशांशतर्पण-तद्दशांश-ब्राह्मण-भोजन रूपं कर्म करिष्ये।

अथवा –

ममात्मनः श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थं सकुटुम्बस्य सपरिवारस्य द्विपदचतुष्पदसहितस्य सर्वारिष्टनिरसनार्थं सर्वदा शुभफलप्राप्तिमनोभि- लषितसिद्धिपूर्वकम् अमुकदेवताप्रीत्यर्थं होमकर्माहं करिष्ये।

अक्षत सहित जल भूमि पर छोड़ें।

पुनः जल आदि लेकर-

तदङ्गत्वेन निर्विध्नतासिद्धîर्थं श्रीगणपत्यादिपूजनम् आचार्यादिवरणञ्च करिष्ये।
तत्रादौ दीपशंखघण्टाद्यर्चनं च करिष्ये।

जलपात्र (कर्मपात्र) का पूजन-
इसके बाद कर्मपात्र में थोड़ा गंगाजल छोड़कर गन्धाक्षत, पुष्प से पूजा कर प्रार्थना करें।
ॐ गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि! सरस्वति!।
नर्म्मदे! सिन्धु कावेरि! जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।
अस्मिन् कलशे सर्वाणि तीर्थान्यावाहयामि नमस्करोमि।
कर्मपात्र का पूजन करके उसके जल से सभी पूजा वस्तुओं पर छिड़कें.

घृतदीप-(ज्योति) पूजन-

“वह्निदैवतायै दीपपात्राय नमः” से पात्र की पूजा कर ईशान दिशा में घी का दीपक जलाकर अक्षत के ऊपर रखकर
ॐ अग्निर्ज्ज्योतिज्ज्योतिरग्निः स्वाहा,
सूर्यो ज्ज्योतिज्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा।
अग्निर्व्वर्च्चो ज्ज्योतिर्व्वर्च्चः स्वाहा,
सूर्योव्वर्चोज्ज्योतिर्व्वर्च्चः स्वाहा ।।
ज्ज्योतिः सूर्य्यः सूर्य्यो ज्ज्योतिः स्वाहा।
भो दीप देवरूपस्त्वं कर्मसाक्षी ह्यविघ्नकृत्।
यावत्पूजासमाप्तिः स्यात्तावदत्रा स्थिरो भव।।
ॐ भूर्भुवः स्वः दीपस्थदेवतायै नमः आवाहयामि सर्वोपचारार्थे गन्धाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि नमस्करोमि। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

शंखपूजन

शंख को चन्दन से लेपकर देवता के वायीं ओर पुष्प पर रखकर शंख मुद्रा करें।
ॐ शंखं चन्द्रार्कदैवत्यं वरुणं चाधिदैवतम्।
पृष्ठे प्रजापतिं विद्यादग्रे गङ्गासरस्वती।।
त्रौलोक्ये यानि तीर्थानि वासुदेवस्य चाज्ञया।
शंखे तिष्ठन्ति वै नित्यं तस्माच्छंखं प्रपूजयेत्।।
त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करे।
नमितः सर्वदेवैश्च पाझ्जन्य! नमोऽस्तुते।।
पाञ्चजन्याय विद्महे पावमानाय धीमहि तन्नः शंखः प्रचोदयात्।
ॐ भूर्भवः स्वः शंखस्थदेवतायै नमः
शंखस्थदेवतामावाहयामि सर्वोपचारार्थे गन्धपुष्पाणि समर्पयामि नमस्करोमि। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

घण्टा पूजन-

ॐ सर्ववाद्यमयीघण्टायै नमः,
आगमार्थन्तु देवानां गमनार्थन्तु रक्षसाम्।
कुरु घण्टे वरं नादं देवतास्थानसन्निधौ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः घण्टास्थाय गरुडाय नमः गरुडमावाहयामि सर्वोपचारार्थे गन्धाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।
गरुडमुद्रा दिखाकर घण्टा बजाएं। दीपक के दाहिनी ओर स्थापित कर दें।

धूपपात्र की पूजा-

ॐ गन्धर्वदैवत्याय धूपपात्राय नमः इस प्रकार धूपपात्र की पूजा कर स्थापना कर दें।

गणेश गौरी पूजन

हाथ में अक्षत लेकर-भगवान् गणेश का ध्यान-
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।।

गौरी का ध्यान –

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्।।
श्री गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, ध्यानं समर्पयामि।

गणेश का आवाहन-

हाथ में अक्षत लेकर
ॐ गणानां त्वा गणपति ँ हवामहे
प्रियाणां त्वा प्रियपति ँ हवामहे
निधीनां त्वा निधिपति ँ हवामहे
वसो मम। आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्।।
एह्येहि हेरम्ब महेशपुत्र ! समस्तविघ्नौघविनाशदक्ष !।
माङ्गल्यपूजाप्रथमप्रधान गृहाण पूजां भगवन् ! नमस्ते।।
ॐ भूर्भुवः स्वः सिद्धिबुद्धिसहिताय गणपतये नमः, गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च।
हाथ के अक्षत को गणेश जी पर चढ़ा दें।
पुनः अक्षत लेकर गणेशजी की दाहिनी ओर गौरी जी का आवाहन करें।

गौरी का आवाहन –

सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit

ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्बालिके न मा नयति कश्चन।
ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकां काम्पीलवासिनीम्।।
हेमाद्रितनयां देवीं वरदां शङ्करप्रियाम्।
लम्बोदरस्य जननीं गौरीमावाहयाम्यहम्।।
ॐभूर्भुवः स्वः गौर्यै नमः, गौरीमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

प्रतिष्ठा-

ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ ँ समिमं दधातु।
विश्वे देवास इह मादयन्तामो 3 म्प्रतिष्ठ।।
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन।।
गणेशाम्बिके ! सुप्रतिष्ठिते वरदे भवेताम्।
प्रतिष्ठापूर्वकम् आसनार्थे अक्षतान् समर्पयामि गणेशाम्बिकाभ्यां नमः।
(आसन के लिए अक्षत समर्पित करे)।
पाद्य, अर्घ्य. आचमनीय, स्नानीय और पुनराचमनीय हेतु जल अर्पण करें.
ॐ देवस्य त्वा सवितुः प्रसवेऽश्विनोर्बाहुभ्यां पूष्णो हस्ताभ्याम्।।
एतानि पाद्यार्घ्याचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि समर्पयामि गणेशाम्बिकाभ्यां नमः।

दुग्धस्नान-

ॐ पय: पृथिव्यां पय ओषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयो धाः पयस्वतीः।
प्रदिशः सन्तु मह्यम्।।
कामधेनुसमुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम्।
पावनं यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, पयः स्नानं समर्पयामि।

दधिस्नान –

ॐ दधिक्राव्णो अकारिषं जिष्णोरश्वस्य वाजिनः।
सुरभि नो मुखाकरत्प्रण आयू ँ षि तारिषत्।।
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम्।
दध्यानीतं मया देव! स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, दधिस्नानं समर्पयामि।
(पुनः जल स्नान करायें।)

घृत स्नान –

ॐ घृतं मिमिक्षे घृतमस्य योनिर्घृते श्रितो घृतम्वस्य धाम।
अनुष्वधमा वह मादयस्व स्वाहाकृतं वृषभ वक्षि हव्यम्।।
नवनीतसमुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम्।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, घृतस्नानं समर्पयामि। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”
(पुनः जल स्नान करायें।)

मधुस्नान –

ॐ मधुव्वाताऽऋतायते मधुक्षरन्ति सिन्धवः।
माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः मधुनक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिव ँ रजः।
मधुद्यौरस्तु नः पिता मधुमान्नो व्वनस्पतिर्म्मधुमाँऽ अस्तु सूर्यः माध्वीर्गावो भवन्तु नः।।
पुष्परेणुसमुद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, मधुस्नानं समर्पयामि।
(पुनः जल स्नान करायें।)

शर्करास्नान –

ॐ अपा ँ रसमुद्वयस Ü सूर्ये सन्त ँ समाहितम्।
अपा Ủ रसस्य यो रसस्तं वो गृह्णाम्युत्तममुपयामगृहीतोऽसीन्द्राय त्वा जुष्टं गृह्णाम्येष ते योनिरिन्द्राय त्वा जुष्टतमम्।।
इक्षुरससमुद्भूतां शर्करां पुष्टिदां शुभाम्।
मलापहारिकां दिव्यां स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, शर्करास्नानं समर्पयामि।
(पुनः जल स्नान करायें।)

पञ्चामृतस्नान –

ॐ पञ्चनद्यः सरस्वतीमपि यन्ति सश्रोतसः।
सरस्वती तु पञ्चधा सोदेशेऽभवत्सरित्।।
पञ्चामृतं मयानीतं पयो दधि घृतं मधु।
शर्करया समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, पञ्चामृतस्नानं समर्पयामि।

शुद्धोदकस्नान-

ॐ शुद्धवालः सर्वशुद्धवालो मणिवालस्तऽआश्विनाः श्येतः श्येताक्षोऽरुणस्ते रुद्राय पशुपतये कर्णायामा अवलिप्तारौद्रा नभोरूपाः पार्जन्याः।।
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धुकावेरि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, शुद्धोकस्नानं समर्पयामि। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

आचमन –

शुद्धोकदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
(आचमन के लिए जल दें।)

वस्त्र-

ॐ युवा सुवासाः परिवीत आगात् स उ श्रेयान् भवति जायमानः।
तं धीरासः कवय उन्नयन्ति स्वाध्यो3 मनसा देवयन्तः।।
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहालङ्करणं वस्त्रामतः शान्तिं प्रयच्छ मे।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, वस्त्रां समर्पयामि।
वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
वस्त्र के बाद आचमन के लिए जल दे।

उपवस्त्र-

ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्म वरूथमाऽसदत्स्वः।
वासो अग्ने विश्वरूप ँ सं व्ययस्व विभावसो।।
यस्याभावेन शास्त्रोक्तं कर्म किञ्चिन्न सिध्यति।
उपवस्त्रं प्रयच्छामि सर्वकर्मापकारकम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, उपवस्त्रं समर्पयामि।
उपवस्त्र न हो तो रक्त सूत्र अर्पित करे।

आचमन – उपवस्त्र के बाद आचमन के लिये जल दें।

यज्ञोपवीत –

ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रां प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
यज्ञोपवीतमसि यज्ञस्य त्वा यज्ञोपवीततेनोपनह्यामि।
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर !।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, यज्ञोपवीतं समर्पयामि।

आचमन –

यज्ञोपवीत के बाद आचमन के लिये जल दें।

चन्दन –

ॐ त्वां गन्धर्वा अखनँस्त्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः।
त्वामोषधे सोमो राजा विद्वान् यक्ष्मादमुच्यत।।
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गंधाढ्यं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ ! चन्दनं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, चन्दनानुलेपनं समर्पयामि।

अक्षत –

ॐ अक्षन्नमीमदन्त ह्यव प्रिया अधूषत।
अस्तोषत स्वभानवो विप्रा नविष्ठया मती योजान्विन्द्र ते हरी।।
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुङ्कुमाक्ताः सुशोभिताः।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, अक्षतान् समर्पयामि।

पुष्पमाला –

ॐ ओषधीः प्रति मोदध्वं पुष्पवतीः प्रसूवरीः।
अश्वा इव सजित्वरीर्वीरुधः पारयिष्णवः।।
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयाहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, पुष्पमालां समर्पयामि। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

दूर्वा –

ॐ काण्डात्काण्डात्प्ररोहन्ती परुषः परुषस्परि।
एवा नो दूर्वे प्रतनुसहश्रेण शतेन च।।
दूर्वाङ्कुरान् सुहरितानमृतान् मङ्गलप्रदान्।
आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण गणनायक !।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, दूर्वाङ्कुरान् समर्पयामि।

सिन्दूर-

ॐ सिन्धोरिव प्राध्वने शूघनासो वातप्रमियः पतयन्ति यह्वाः।
घृतस्य धारा अरुषो न वाजी काष्ठा भिन्दन्नूर्मिभिः पिन्वमानः।।
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, सिन्दूरं समर्पयामि।

अबीर गुलाल आदि नाना परिमल द्रव्य-

ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं ज्याया हेतिं परिबाधमानः।
हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान् पुमान् पुमा ँ सं परि पातु विश्वतः।।
अबीरं च गुलालं च हरिद्रादिसमन्वितम्।
नाना परिमलं द्रव्यं गृहाण परमेश्वर!।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि।

सुगन्धिद्रव्य-

ॐ अहिरिव0 इस पूर्वोक्त मंत्र से चढ़ाये
ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं ज्याया हेतिं परिबाधमानः।
हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान् पुमान् पुमा ँ सं परि पातु विश्वतः।।
दिव्यगन्धसमायुक्तं महापरिमलाद्भुतम्।
गन्धद्रव्यमिदं भक्त्या दत्तं वै परिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, सुगन्धिद्रव्यं समर्पयामि।

धूप-

ॐ धूरसि धूर्व्व धूर्व्वन्तं धूर्व्वतं योऽस्मान् धूर्व्वति तं धूर्व्वयं वयं धूर्व्वामः।
देवानामसि वद्दितम ँ सस्नितमं पप्रितमं जुष्टतमं देवहूतमम्।।
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, धूपमाघ्रापयामि।

दीप-
ॐ अग्निर्ज्योतिज्योतिरग्निः स्वाहा सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा।
अग्निर्वर्चो ज्योतिर्वर्चः स्वाहा सूर्यो वर्चो ज्योतिर्वर्च स्वाहा।।
ज्योर्ति सूर्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा।।
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वद्दिना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रौलौक्यतिमिरापहम्।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, दीपं दर्शयामि।

सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit

हस्तप्रक्षालन –

‘ॐ हृषीकेशाय नमः’ कहकर हाथ धो ले।

नैवेद्य-

सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit
सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit

पुष्प चढ़ाकर बायीं हाथ से पूजित घण्टा बजाते हुए।
ॐ नाभ्या आसीदन्तरिक्ष Ủ शीर्ष्णो द्यौः समवर्तत।
पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्राँत्तथा लोकाँ2 अकल्पयन्।।
ॐ प्राणाय स्वाहा। ॐ अपानाय स्वाहा। ॐ समानाय स्वाहा।
ॐ उदानाय स्वाहा। ॐ व्यानाय स्वाहा।
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च।
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, नैवेद्यं निवेदयामि।
नैवेद्यान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit

ऋतुफल –

ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः।
बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व ँ हसः।।
इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, ऋतुफलानि समर्पयामि। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

जल-

फलान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
जल अर्पित करे।
ॐ मध्ये-मध्ये पानीयं समर्पयामि। उत्तरापोशनं समर्पयामि हस्तप्रक्षालनं समर्पयामि मुखप्रक्षालनं समर्पयामि।

करोद्वर्तन-

ॐ अ ँ शुना ते अ ँ शुः पृच्यतां परुषा परुः।
गन्धस्ते सोममवतु मदाय रसो अच्युतः।।
चन्दनं मलयोद्भुतं कस्तूर्यादिसमन्वितम्।
करोद्वर्तनकं देव गृहाण परमेश्वर।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, करोद्वर्तनकं चन्दनं समर्पयामि।

ताम्बूल –

ॐ यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत।
वसन्तोऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः।।
पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।
एलादिचूर्णसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, मुखवासार्थम् एलालवंगपूगीफलसहितं ताम्बूलं समर्पयामि।
(इलायची, लौंग-सुपारी के साथ ताम्बूल अर्पित करे।)

दक्षिणा-

ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्।
स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम।।
हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः।
अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, कृतायाः पूजायाः साद्गुण्यार्थे द्रव्यदक्षिणां समर्पयामि। (द्रव्य दक्षिणा समर्पित करे।)

विशेषार्घ्य-

ताम्रपात्र में जल, चन्दन, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा और दक्षिणा रखकर अर्घ्यपात्र को हाथ में लेकर निम्नलिखित मन्त्र पढ़ेंः-
ॐ रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रौलोक्यरक्षक।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्।।
द्वैमातुर कृपासिन्धो षाण्मातुराग्रज प्रभो!।
वरदस्त्वं वरं देहि वाञ्िछतं वाञ्छितार्थद।।
गृहाणाघ्र्यमिमं देव सर्वदेवनमस्कृतम्।
अनेन सफलाघ्र्येण फलदोऽस्तु सदा मम।  “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

आरती-

ॐ इद ँ हविः प्रजननं मे अस्तु दशवीर ँ सर्वगण ँ स्वस्तये।
आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्यभयसनि।
अग्निः प्रजां बहुलां मे करोत्वन्नं पयो रेतो अस्मासु धत्त।।
ॐ आ रात्रि पार्थिव ँ रजः पितुरप्रायि धामभिः।
दिवः सदा ँ सि बृहती वि तिष्ठस आ त्वेषं वर्तते तमः।।
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्।
आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, अरार्तिकं समर्पयामि।
(कर्पूर की आरती करें, आरती के बाद जल गिरा दें।)

मन्त्र पुष्पांजलि-

अंजली में पुष्प लेकर खड़े हो जायें।
ॐ मालतीमल्लिकाजाती- शतपत्रादिसंयुताम्।
पुष्पांजलिं गृहाणेश तव पादयुगार्पितम्।।
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्रा पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः।।
नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च।
पुष्पाञ्जलिर्मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि। (पुष्पाञ्जलि अर्पित करे।)

प्रदक्षिणा –

सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit
सरल पूजन विधि मंत्र प्रार्थना सहित Poojan vidhi mantra sahit

ॐ ये तीर्थानि प्रचरन्ति सृकाहस्ता निषङ्गिणः।
तेषा ँ सहस्रयोजनेऽव धन्वानि तन्मसि।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, प्रदक्षिणां समर्पयामि।
(प्रदक्षिणा करे।)

प्रार्थना।।

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय। निर्विविघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
अनया पूजया सिद्धि-बुद्धि-सहितः श्रीमहागणपतिः साङ्गः परिवारः प्रीयताम्।। श्रीविघ्नराजप्रसादात्कर्तव्यामुककर्मनिर्विघ्नसमाप्तिश्चास्तु।

पूजा पाठ करने वाले दु:खी क्यों होते हैं

ज्यादा पूजा पाठ करने वाला व्यक्ति ही सबसे ज्यादा दुखी क्यों है। इसका उत्तर तो मैं नहीं जानता। लेकिन मेरा मानना है, कि ज्यादा पूजा पाठ करने वाला व्यक्ति अपने दुखों का कारण स्वयं होता है। क्योंकि बिना कर्म किए किए ही फल प्राप्ति की इच्छा रखने लगता है, जो कि कभी मिलने वाला नहीं है। क्योंकि बिना कर्म किए फल प्राप्त नहीं होता है। “दैनिक पूजा विधि मंत्र प्रार्थना सहित, Dainik Poojan vidhi mantra Sahit”

इसलिए वह व्यक्ति कर्म तो करता नहीं है लेकिन भगवान की भक्ति में लीन रहने की बात करता है और कहता है कि मैं भगवान कहां बहुत बड़ा भक्त हूं लेकिन असल में वह भक्त नहीं लोभी होता है जो भक्ति की आड़ में अपने स्वार्थ को पूरा करने की लालसा रखें हुए रहता है

इसलिए वह व्यक्ति कर्म करने से भागता है। और बिना कर्म किए हुए, फल प्राप्त हो जाए ऐसा हो नहीं सकता।


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