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एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

एकादशी शुभ मुहूर्त-2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

 

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एकादशी महत्व: सम्पूर्ण जानकारी

एकादशी, हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण तिथि है जो हर महीने आती है।

इस दिन को विशेष रूप से धार्मिक और सामाजिक महत्व दिया जाता है। हम इस लेख में एकादशी के महत्व पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे ताकि आपको इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी मिल सके।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

एकादशी का महत्व

एकादशी का महत्व विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में उच्च माना जाता है। इसे ‘हरि एकादशी’ भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है ‘हरि के लिए एकादशी’।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है और भक्तगण व्रत रखते हैं।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

एकादशी के व्रत का महत्व

एकादशी के व्रत का पालन करने से मान्यता है कि व्यक्ति अपने जीवन में नेगेटिव ऊर्जा को दूर करता है और धार्मिकता में वृद्धि होती है।

इस व्रत का महत्व यह भी है कि यह शरीर, मन, और आत्मा को शुद्धि प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति अध्यात्मिक उन्नति की दिशा में बढ़ सकता है।

एकादशी के व्रत के लाभ

एकादशी के व्रत से शरीर में आने वाले तामसिक और राजसिक गुणों का संतुलन होता है जिससे व्यक्ति में शांति और सकारात्मकता की भावना बनी रहती है।

यह व्रत व्यक्ति को नैतिकता में सुधार करने में मदद करता है और सामाजिक जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाता है।

एकादशी व्रत का पालन कैसे करें

एकादशी व्रत शुरू करने से पहले संकल्प लें कि आप इसे पूर्ण करेंगे और नियमित रूप से पूजा-अर्चना करेंगे।

उपवास का पालन करें

एकादशी के दिन उपवास करें और विशेष रूप से सत्विक आहार का पालन करें।

भगवान की पूजा करें

व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें फल, फूल, और तुलसी के पत्ते से अर्चित करें।

दान करें

एकादशी के दिन दान करना भी बहुत श्रेष्ठ है। आप गरीबों को भोजन, वस्त्र, और धन दान कर सकते हैं।

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1- पौष माह

सफला एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 7 जनवरी 2024
पौष पुत्रदा एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 21 जनवरी 2024

एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

2- माघ माह

षटतिला एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 6 फरवरी 2024
जया एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 20 फरवरी 2024

3- फाल्गुन माह

विजया एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 6 मार्च 2024
आमलकी एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 20 मार्च 2024

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4- चैत्र माह

पापमोचिनी एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 5 अप्रैल 2024
कामदा एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 19 अप्रैल 2024

5- वैशाख माह

बरूथिनी एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 4 मई 2024
मोहिनी एकादशी – 19 मई 2024

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6- ज्येष्ठ माह

अपरा एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 2 जून 2024
निर्जला एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 18 जून 2024

7- आषाढ़ माह

योगिनी एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 2 जुलाई 2024
देवशयनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 17 जुलाई 2024

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8- सावन माह

कामिका एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 31 जुलाई 2024
सावन पुत्रदा एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 16 अगस्त 2024

9- भाद्रपद माह

अजा एकादशी (कृष्ण पक्ष)- 29 अगस्त 2024
परिवर्तिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 14 सितंबर 2024

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1- अश्विन माह

इंदिरा एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 28 सितंबर 2024
पापांकुशा एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 13 अक्टूबर 2024

11- कार्तिक माह

रमा एकादशी (कृष्ण पक्ष)- 28 अक्टूबर 2024
देवउठनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 12 नवंबर 2024

12- मार्गशीर्ष माह

उत्पन्ना एकादशी (कृष्ण पक्ष)- 26 नवंबर 2024
मोक्षदा एकादशी (शुक्ल पक्ष)- 11 दिसंबर 2024

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एकादशी व्रत का इतिहास

एक बार बहुभोजी भीमसेन ने व्यासजीके मुख से प्रत्येक एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर विनम्र भाव से निवेदन किया कि ‘महाराज!

मुझसे कोई व्रत नही किया जाता।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

दिन भर बड़ी तीव्र क्षुधा बनी ही रहती है।

अतः आप कोई ऐसा उपाय बतला दीजिये जिसके प्रभाव से स्वत: सद्गति हो जाय।

तब व्यासजी ने कहा कि ‘तुमसे वर्षभर की सम्पूर्ण एकादशी नहीं हो सकती तो केवल एक निर्जला कर लो,

इसीसे सालभर की एकादशी करने के समान फल हो जायगा।’ तब भीम ने वैसा ही किया और स्वर्ग को गये। इसलिए यह एकादशी ‘भीमसेनी एकादशी’ के नाम से भी जानी जाती है।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है।

हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है।

इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक मान्यता है कि पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे।इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ।

सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है।

जहाँ साल भर की अन्य एकादशी व्रत में आहार संयम का महत्त्व है। वहीं निर्जला एकादशी के दिन आहार के साथ ही जल का संयम भी ज़रूरी है।

इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है यानि निर्जल रहकर व्रत का पालन किया जाता है।

यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। व्रत का विधान है।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

ध्यान रखें

1. पवित्रीकरण के समय जल आचमन के अलावा अगले दिन सूर्योदय तक पानी नहीं पीएं।

2. दिनभर कम बोलें और हो सके तो मौन रहने की कोशिश करें।

3. दिनभर न सोएं।

4. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

5. झूठ न बोलें, गुस्सा और विवाद न करें।

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व्रत कथा

जब वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया था। तब युधिष्ठिर ने कहा – जनार्दन! ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी पड़ती हो, कृपया उसका वर्णन कीजिए। भगवान

श्रीकृष्ण ने कहा हे राजन् !

इसका वर्णन परम धर्मात्मा व्यासजी करेंगे, क्योंकि ये सम्पूर्ण शास्त्रों के तत्त्वज्ञ और वेद वेदांगों के पारंगत विद्वान् हैं।

तब वेदव्यासजी कहने लगे- कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी में अन्न खाना वर्जित है।

द्वादशी को स्नान करके पवित्र होकर फूलों से भगवान केशव की पूजा करें।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

फिर पहले ब्राह्मणों को भोजन देकर अन्त में स्वयं भोजन करें। यह सुनकर भीमसेन बोले- परम बुद्धिमान पितामह! मेरी उत्तम बात सुनिए।

राजा युधिष्ठिर, माता कुन्ती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव, ये एकादशी को कभी भोजन नहीं करते तथा मुझसे भी हमेशा यही कहते हैं कि भीमसेन एकादशी को तुम भी न खाया करो परन्तु मैं उन लोगों से यही कहता हूँ कि मुझसे भूख नहीं सही जाएगी।

भीमसेन की बात सुनकर व्यासजी ने कहा- यदि तुम नरक को दूषित समझते हो और तुम्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति अभीष्ट है और तो दोनों पक्षों की एकादशियों के दिन भोजन नहीं करना।

भीमसेन बोले महाबुद्धिमान पितामह! मैं आपके सामने सच कहता हूँ। मुझसे एक बार भोजन करके भी व्रत नहीं किया जा सकता, तो फिर उपवास करके मैं कैसे रह सकता हूँ।

मेरे उदर में वृक नामक अग्नि सदा प्रज्वलित रहती है, अत: जब मैं बहुत अधिक खाता हूँ, तभी यह शांत होती है। इसलिए महामुनि !

मैं पूरे वर्षभर में केवल एक ही उपवास कर सकता हूँ। जिससे स्वर्ग की प्राप्ति सुलभ हो तथा जिसके करने से मैं कल्याण का भागी हो सकूँ,

ऐसा कोई एक व्रत निश्चय करके बताइये। मैं उसका यथोचित रूप से पालन करुँगा।

व्यासजी ने कहा- भीम!

ज्येष्ठ मास में सूर्य वृष राशि पर हो या मिथुन राशि पर, शुक्लपक्ष में जो एकादशी हो, उसका यत्नपूर्वक निर्जल व्रत करो।

केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए मुख में जल डाल सकते हो, उसको छोड़कर किसी प्रकार का जल विद्वान् पुरुष मुख में न डालें, अन्यथा व्रत भंग हो जाता है।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

एकादशी को सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक मनुष्य जल का त्याग करे तो यह व्रत पूर्ण होता है।

इसके बाद द्वादशी को प्रभातकाल में स्नान करके ब्राह्मणों को विधिपूर्वक जल और सुवर्ण का दान करे। इस प्रकार सब कार्य पूरा करके जितेन्द्रिय पुरुष ब्राह्मणों के साथ भोजन करें।

वर्षभर में जितनी एकादशियां होती हैं, उन सबका फल इस निर्जला एकादशी से मनुष्य प्राप्त कर लेता है, इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है।

शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान केशव ने मुझसे कहा था कि ‘यदि मानव सबको छोड़कर एकमात्र मेरी शरण में आ जाय और एकादशी को निराहार रहे तो वह सब पापों से छूट जाता है।

कुन्तीनन्दन! निर्जला एकादशी के दिन श्रद्धालु स्त्री पुरुषों के लिए जो विशेष दान और कर्त्तव्य विहित हैं, उन्हें सुनो।

उस दिन जल में शयन करने वाले भगवान विष्णु का पूजन और जलमयी धेनु यानी पानी में खड़ी गाय का दान करना चाहिए, सामान्य गाय या घी से बनी गाय का दान भी किया जा सकता है।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

इस दिन दक्षिणा और कई तरह की मिठाइयों से ब्राह्मणों को सन्तुष्ट करना चाहिए। उनके संतुष्ट होने पर श्रीहरि मोक्ष प्रदान करते हैं।

जिन्होंने श्रीहरि की पूजा और रात्रि में जागरण करते हुए इस निर्जला एकादशी का व्रत किया है,
उन्होंने अपने साथ ही बीती हुई सौ पीढ़ियों को और आने वाली सौ पीढ़ियों को भगवान वासुदेव के परम धाम में पहुँचा दिया है।

निर्जला एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, गौ, जल, शैय्या, सुन्दर आसन, कमण्डलु तथा छाता दान करने चाहिए।

जो श्रेष्ठ तथा सुपात्र ब्राह्मण को जूता दान करता है, वह सोने के विमान पर बैठकर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है।

जो इस एकादशी की महिमा को भक्तिपूर्वक सुनता अथवा उसका वर्णन करता है, वह स्वर्गलोक में जाता है।
चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय श्राद्ध करके मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है, वही फल इस कथा को सुनने से भी मिलता है।

भीमसेन! ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की जो शुभ एकादशी होती है, उसका निर्जल व्रत करना चाहिए। उस दिन श्रेष्ठ ब्राह्मणों को शक्कर के साथ जल के घड़े दान करने चाहिए।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

ऐसा करने से मनुष्य भगवान विष्णु के समीप पहुँचकर आनन्द का अनुभव करता है। इसके बाद द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करे।

जो इस प्रकार पूर्ण रूप से पापनाशिनी एकादशी का व्रत करता है, वह सब पापों से मुक्त हो आनंदमय पद को प्राप्त होता है। यह सुनकर भीमसेन ने भी इस शुभ एकादशी का व्रत आरम्भ कर दिया।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

समापन

एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है और आत्मा के साथ मिलकर एक ऊँचे स्तर पर पहुंचता है। इसे न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जा सकता है,एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

बल्कि इसके आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव होता है। इसलिए, हम सभी को एकादशी व्रत का पालन करने की सलाह देते हैं ताकि आपका जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण रहे।एकादशी शुभ मुहूर्त2024-Ekadashi Vrat Vidhi- संपूर्ण एकादशी महत्व

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