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सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना
सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमान आराधना:

हनुमान आराधना, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण और गौरवशाली परंपरा है। इस धार्मिक प्रथा का महत्व और इसके पीछे की कहानी हमारे इस लेख में हैं। हम इस लेख में हनुमान आराधना के महत्व, इतिहास, और पूजा की विधि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

हनुमान आराधना का महत्व

हनुमान आराधना का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत गहरा है। हनुमान, भगवान राम के भक्त के रूप में जाने जाते हैं और उनकी आराधना भक्तों के लिए बड़े महत्वपूर्ण है। उनके पूजन से भक्तों को शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास मिलता है।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमान आराधना का इतिहास

हनुमान आराधना का इतिहास रामायण में मिलता है। हनुमान, भगवान राम के सबसे विश्वासी और प्रिय भक्त थे। उन्होंने लंका को जलाकर सीता माता को पाने में मदद की और रावण का अहंकार तोड़ा। इसके बाद, हनुमान ने भक्तों के लिए एक महान आदर्श स्थापित किया और उनका आशीर्वाद उनके लिए सदैव उपलब्ध है।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमान आराधना की विधि

हनुमान आराधना की विधि अत्यंत सादगी से की जा सकती है। यह विधि विभिन्न प्रकार से की जा सकती है, लेकिन यहाँ हम आपको एक सामान्य तरीका बताएंगे:सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

1. पूजा का स्थल

हनुमान आराधना के लिए स्थल का चयन महत्वपूर्ण है। आप अपने घर के मंदिर में या किसी हनुमान जी के मंदिर में पूजा कर सकते हैं।

2. पूजा सामग्री

पूजा के लिए आपको हनुमान चालीसा, तुलसी के पत्ते, दीपक, और पूजा थाली की आवश्यकता होती है।

3. पूजा विधि

पूजा शुभ मुहूर्त में करें।
हनुमान चालीसा का पाठ करें।
तुलसी के पत्ते के साथ दीपक जलाएं।
मन, वचन, और क्रिया से हनुमान जी का स्मरण करें।

साक्षरता और श्रद्धा का महत्व

हनुमान आराधना के लिए साक्षरता और श्रद्धा का महत्वपूर्ण होता है। यह पूरी भावना के साथ की जानी चाहिए और साक्षरता से पूजा की जानी चाहिए।

आराधना के फायदे

हनुमान आराधना करने से बहुत सारे फायदे होते हैं। यह आपके जीवन में न सिर्फ आध्यात्मिक बल देता है, बल्कि आपको जीवन की हर कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता देता है।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमान का जन्म|

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रामभक्त हनुमान का दिव्य स्वरूप ऐसा है, जिसके मूल में अनेक दैवी शक्तियों की प्रेरणा समाई हुई है । हनुमान की स्तुति में संतों ने बार-बार इसे याद किया है।हनुमान चालीसा में “शंकर सुवन केसरी नंदन” कहकर जिस दिव्य शक्ति को स्मरण किया है, उसके जन्म के दो मूल शक्ति बिंदु याद किये गये हैं ।

हनुमान को पवन पुत्र, अंजना नंदन जैसे नाम भी दिये गये हैं । गोस्वामी तुलसीदास ने इस दिव्य शक्ति का स्मरण इस रूप में किया है –

” दूत राम राम को, सपूत पूत पौन को, तू अंजनी को नंदन, प्रताप भूरि भानु को ।“
इस स्तुति से पता चलता है कि हनुमान के जन्म पालन-पोषण, प्रशिक्षण में अनेक देवताओं की प्रेरणा थी । इनमें प्रमुख भगवान शंकर हैं, हनुमान को रुद्र का अंश, पवन का अंश और सूर्य का तेज माना जाता है।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना  

भीम और हनुमान |

त्रेता युग में विष्णु के अवतार भगवान राम के साथ रहने वाले हनुमान द्वापर युग में भगवान कृष्ण के रथ की ध्वजा पर भी विराजमान थे । महाभारत में उनका प्रसंग अनेक बार आता है । भीम का अहंकार दूर करने के लिए भगवान कृष्ण ने उन्हें हनुमान के पास भेज दिया था ।

हनुमान एक बूढ़े बंदर के रूप में एकांत वन में लेटकर विश्राम कर रहे थे । भीम ने अपनी सारी शक्ति लगा दी, लेकिन वे महाबली हनुमान की पूछ अपनी जगह से नहीं हिला सके ।

चिरंजीवी हनुमान |

त्रेतायुग के विजयी वीर महाबली हनुमान अजर-अमर हैं । चिरजीवियों की सूची में अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम को रखा गया है । इन सात चिरजीवियों में हनुमान एक प्रत्यक्ष देवता हैं, जो अपने आराधकों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं ।

उनके पुण्य की महिमा अपार हैं, वे मन की तरह शीघ्रगामी हैं, वायु की तरह वेगवान हैं, वे जितेंद्रिय हैं, वे बुद्धिमानों में सर्वश्रेष्ठ हैं ।

विद्या वारिध बुद्धि विधाता कहकर देवताओं में प्रथम पूजा के अधिकारी गणेश को स्मरण किया जाता है, लेकिन हनुमान युद्ध और शांति के अवसरों पर समान रूप से अपनी बुद्धि की विलक्षणता के उदाहरण देते हैं, उनके बुद्धि कौशल की प्रशंसा बार-बार करते हैं ।

हनुमान पूजा |

वैष्णव आध्यात्म और दर्शन में हनुमान सर्वश्रेष्ठ देवता माने जाते हैं । इसका यह अर्थ नहीं है कि शैव और शाक्त पूजा पद्धति में हनुमान का महत्व कम आका गया है । शिव और शक्ति के मंदिरों में भी हनुमान, पूजा के अधिकारी बने हुए हैं ।

आप देश के हर कोने में शिव शक्ति के मंदिर देख आइये, पवन पुत्र हनुमान लगभग सभी मंदिरों में विराजमान नजर आएंगे । रुद्र और शिव में उन्हें देखने वाले भक्तों की आस्था पूरी तरह यथार्थ है ।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमान आराधना |
हनुमत् आराधना (हनुमान आराधना) का क्षेत्र बहुत विशाल है । इनकी आराधना के बिना कोई भक्त भगवान राम के पास पहुंच ही नही सकता । राम की कृपा पाने के लिए हनुमत् को प्रसन्न करना जरूरी है ।

जगदंबा सीता की कृपा भी इन्हें प्रसन्न किये बिना प्राप्त हो ही नहीं सकती । माता सीता ने उन्हें अजर-अमर और गुणनिधि होने का वरदान दिया है, उनकी कृपा से ही हनुमान जी भगवान राम से अत्यधिक स्नेह करते हैं ।

भगवान राम ने तो अनेक बार अनेक अवसरों पर अपने भक्त की प्रशंसा में ऐसे विचार व्यक्त किये हैं, जिनके बारे में गहराई से सोचने पर भक्त और भगवान, सेवक और स्वामी, जीव और ब्रह्म की एकरूपता के उदाहरण मिलते हैं ।

भारतीय आध्यात्मिक मान्यता यह है कि भगवान सदैव भक्त के वेश में रहते हैं । भक्त के बिना भगवान की अपनी सत्ता भी कमजोर हो जाती है । भगवान का सच्चा भक्त संत होता है, वही किसी उपासक को भगवान से मिलाने का साधन बनता है । यह साधन भगवान की इच्छा से ही मिलता है । जिसे यह साधन मिल जाता है, उसके लिए संसार की कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं रह जाती ।

सिद्धि पाने के उपाय |
जाहिर है सिद्धि पाने के लिए साधक को हनुमान की उपासना करनी चाहिए । इस उपासना को परम गोपनीय माना गया है । यह इस हद तक गोपनीय है कि आज भी इसका बहुत छोटा हिस्सा साधकों को मालूम है । इसका ज्यादातर विधान परंपरा से गुरू अपने शिष्य को देते हैं ।

लेकिन जितना विधान सब लोगों को मालूम है, उतने से ही करोड़ों भक्तों की समस्याएं दूर हो जाती हैं ।

शत्रु संकट से घिरने पर, लड़ाई में विजय पाने के लिए, मुकदमा जीतने के लिए, परीक्षाओं में सफलता पाने के लिए, रोग और दुःख दूर करने के लिए, संकटों से छुटकारा पाने के लिए भक्त हनुमान की शरण में जाते हैं, पवन पुत्र की पूजा सांसारिक समस्याओं से अलग एक अनंत आध्यात्मिक संसार भी है ।

मोक्ष की कामना करने वाले, पापों से छुटकारा पाने की इच्छा रखने वाले, परम पवित्र हनुमान उपासना की शरण लेते हैं ।

अष्ट सिद्धि नौ निधि

संसार से दूर इन विरागी भक्तों को जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होने की इच्छा रहती है । जो योगी आठों सिद्धियां और नवों निधियां चाहते हैं, वे भी हनुमान की उपासना करते हैं । सिद्धियों और निधियों को देने का अधिकार भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को सौंप रखा है ।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

उनकी प्रसन्नता के बिना कोई भक्त सीधे भगवान से कुछ भी हासिल नहीं कर सकता । जिन व्यवसायों में बुद्धि कौशल की बहुत जरूरत पड़ती है । उनमें सफलता पाने के लिए भक्त बुद्धिमानों में वरिष्ठ हनुमानजी को शरण लेते हैं ।

हमारे समाज के अनेक सफल वैज्ञानिक, प्रोफेसर, डॉक्टर, वकील और न्यायाधीश हनुमान के भक्त हैं । देश के ध्रुव दक्षिण से उत्तर तक और पूरब से पश्चिम तक ऐसे भक्तों की संख्या लाखों में है।

हनुमान उपासना विधि |

सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना
सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमत् उपासना (हनुमान उपासना) प्रारंभ करने का शुभ मुहूर्त हनुमान जयंती को माना जाता है । मनोकामना सिद्धि के लिए इसी पवित्र दिन से उपासना का दिन शुरू किया जा सकता है ।

हनुमान उपासना मंत्र

हनुमत् उपासना के अनेक मंत्र हैं इनमें बारह अक्षरों वाला एक मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली है । इस मंत्र का उपदेश भगवान श्रीहरि ने महारथी अर्जुन को दिया था । इस मंत्र के प्रभाव से ही अर्जुन महाभारत युद्ध में विजयी हुए थे । मंत्र निम्न है-

हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

इस मंत्र के अलावा अन्य कुछ मंत्र भी प्रचलित हैं । जो इस प्रकार है –

हौं हस्फ्रें ख्फें हस्रों हस्ख्फ्रें ह्सौं हनुमते नमः ।
ह् स्फ्रें हस्फ्रें ह् स्ख्फें ह्सौं ।
ॐ ऐं श्रीं हां हीं हूं हस्फ्रें ख्फ्रें ह्स्त्रों हस्ख्फ्रें ह्सौं ।

इन मंत्रों की जप संख्या किसी योग्य जानकार से पूछकर तय करनी चाहिए । मंत्र की सिद्धि में कितना समय लगेगा और कितनी संख्या में जप करना पड़ेगा, इसके बारे में पहले से कुछ बताया नहीं जा सकता ।

साधक की भावना जितनी प्रबल होगी, उसका आचरण जितना पवित्र होगा । वह साधना में जिस हृद तक संयम निभा पाएगा और उसका मन जितना एकाग्र होगा, सिद्धि उसी के अनुसार हासिल होगी ।

हनुमान उपासना के नियम |

हनुमत् उपासना (हनुमान उपासना) शुरू करने से पहले, एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए । यह उपासना सात्विक है ।

इसे सिर्फ संयमी, सदाचारी और अहिंसक स्वभाव के व्यक्ति कर सकते हैं, जिन लोगों का मन हमेशा विषय भोगों में लगा रहता है उन्हें सबसे पहले अपनी इच्छा शक्ति को प्रबल बनाना चाहिए ।

उन्हें हनुमान जी से याचना करनी चाहिए कि वे उपासक को आराधना शुरू करने की शक्ति प्रदान करें । आराधना की अवधि में झूठ बोलना, किसी का अहित करना, मन की चंचलता दिखाना वर्जित है । हनुमान जी स्वयं एक वीर साधक थे, उनकी उपासना केवल संयमी और वीर को ही सिद्धि दे सकती है ।

उपासना शुरू करने से पहले आप कोई उचित स्थान चुन लें और वहीं प्रतिदिन नियमित रूप से पूजन करें । यह स्थान कोई विष्णु मंदिर या हनुमानजी का मन्दिर हो सकता है ।

नदी का एकान्त तट या पहाड़ के किसी जन्य शून्य क्षेत्र में उपासना करने से एकाग्रता जल्दी हासिल होती है और सिद्धि आसानी से प्राप्त होती है ।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमान उपासना की विधि |

मंत्र जप से पहले यह देख लेना चाहिए कि साधक किस कार्य की सिद्धि चाहता है । साधक के कार्य के अनुसार भक्त हनुमान का ध्यान भी होना चाहिए । हनुमान के अनेक रूप हैं । उसी के अनुसार उनका ध्यान भी अलग-अलग रूपों में किया जाता है । अगर आप शत्रुओं से घिरे हैं, शत्रु आपको नुकसान पहुंचाना चाहते हैं तो आप अपनी रक्षा के लिये हनुमान का ध्यान करते समय उनके रौद्र रूप को मन में लायें ।

लंका के युद्ध में क्रोधित हनुमान ने रावण पर प्रहार करने के लिये विशाल पर्वत उखाड़ लिया था ।
वे यह कहते हुए रावण की तरफ दौड़े थे – “ हे दुष्ट, युद्ध भूमि में खड़ा रह, जिससे मैं तुझे मार सकूं।

“ उस समय हनुमान का शरीर लाह के रस के समान लाल हो गया था, उनकी चेप्टाएं कालांतक यम जैसी हो गयी थीं । उनके दोनों नेत्रों से अग्नि की शिखाएं निकल रही थीं । उनकी शरीर करोड़ों सूर्य की तरह चमक रहा था ।

रूद्र के रूप वीर अंगद जैसे परम वीरों से घिरे हुए लंका की रणभूमि में अपना पराक्रम हनुमान दिखा रहे थे ।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

मन में यह भावना करते हुए आप इस श्लोक का पाठ करें –

महाशैलं समुत्पाट्य, धावतं रावणं प्रति ।
तिष्ठ तिष्ठ रणे दुष्ट घोर रावत् समुत्सृजन ।।

लाक्षा रसारुणं रौद्रं, कालान्तक-यमोपमम् ।
ज्वलदग्नि लसन्नेत्र, सूर्य कोटि सम-प्रभम् ।।
अंगदाघैर्महा-वीरैर्वेष्टितं रुद्र-रुपिणम् ।।

यह रौद्र रूप का ध्यान तभी करना चाहिए, जब साधक शत्रुओं से घिरा हो ।

सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र

सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले साधक को हनुमानजी के शान्त, मनोहारी भव्य रूप का ध्यान करना चाहिए । यह ध्यान इस प्रकार है –

दहन तप्त सुवर्ण समप्रभं, भय हरं हृदये विहितांजलिं ।
श्रवण कुण्डल शोभिमुखाम्बुजं, नमत वानराजमिहाद्भुतम् ।।

परिवार संकट दूर करने के लिए हनुमान मंत्र

परिवार में कोई संकट आये और शोक की आशंका को हर्ष के विश्वास में बदलना हो तो इस प्रकार ध्यान करना चाहिए –

अतुलित बल धामं-हेम शैलाभदेहम्,
दनुज बन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं ।
सकलगुण निधानं वानराणाम्धीशं,
रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि । ।

अंजना नन्दनं वीरं जानकी शोक नाशनं,
कपीश मक्षहंतारं वन्दे लंका भयंकरं ।

हनुमान यंत्र |

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आप यदि हनुमान जी की मूर्ति के सामने बैठकर आराधना कर रहे हैं, तो मंत्र जप से पहले आपको हनुमानजी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए ।

यदि आप मूर्ति के सामने पूजन नही कर रहे हैं तो हनुमत् यंत्र बना सकते हैं । इस यंत्र को विधि पूर्वक स्थापित करके आपको इसकी श्रद्धा सहित पूजा करनी चाहिए । पूजा सोलह उपचारों से की जाती है ।

इसमें जितना साधन सहज ही आपको मिल सके उसी का उपयोग करें । सबसे अच्छा और बहुमूल्य साधन आपकी भक्ति और निर्मल हृदय है इसके बिना कोई साधन कोई पुरश्चरण सफल नहीं होता ।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमत् मंत्र । हनुमान मंत्र |
बारह अक्षरों वाले हनुमत् मंत्र को एक लाख की संख्या में जप कर साधक असम्भव कार्य को सम्भव बना सकते हैं । उपासना शुरू करने के लिए कुश के आसन पर बैठना चाहिए । मूल मंत्र से प्राणायाम करना चाहिए और करांग्रयास भी करना चाहिए ।

सीताराम का ध्यान करते हुए तांबे के पत्तर पर हनुमत् यंत्र बनाया जा सकता है । यह यंत्र लाल चंदन की लेखनी और घिसे हुए लाल चन्दन से भी बनाया जा सकता है । हनुमान जी का आह्वान करने के साथ ही सुग्रीव, लक्ष्मण, अंगद, नल, नील, जाम्बवान, कुमुद और केशरी का भी पूजन किया जाता है ।

इन सभी का पूजन गंध, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य से करना चाहिए । हनुमानजी के दायीं ओर पवन देवता और बायीं ओर माता अंजना का पूजन किया जाता है ।

इसके बाद ॐ कपिभ्यो नमः मंत्र से हनुमान जी को आठ पुष्पांजलि समर्पित की जाती है । इतनी पूजा के बाद एकाग्र होकर मंत्र का जप करना चाहिए ।

एक लाख की संख्या में जप करना एक दिन में संभवं नहीं है । इसलिये कई दिनों तक नियम से जप करना चाहिए । हो सके तो हर दिन पूजा के समय हनुमानजी को अनार का भोग लगाना चाहिये । यह फल प्रभु हनुमान को अति प्रिय है ।

तांत्रिक विधि से हनुमान आराधना

तांत्रिक विधि से हनुमान की आराधना करने वाले साधक जप पूरा होने पर उनकी महापूजा करते हैं । कार्य की सिद्धि के लिये रात-दिन जप करते रहना चाहिए । साधक के मन में यह पक्का विश्वास होना चाहिए कि हनुमान दर्शन अवश्य देंगे।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमान सिद्धि |

इस तरह जप करने वाले को आम तौर पर रात के समय प्रभु हनुमान का आभास होता है और उसके काम सिद्ध हो जाते हैं । बहुत से साधक ऐसे हैं जो सिर्फ परमार्थ की भावना से हनुमत् सिद्धि (हनुमान सिद्धि) करते हैं । उनकी इच्छा यह होती है कि वे हनुमानजी की कृपा प्राप्त कर लें ।

इस कृपा के बल पर वे दुःखियों का दुख दूर करना चाहते हैं । ऐसे साधकों को सिद्धि जल्दी मिल जाती है और वे कष्ट में पड़े हुए लोगों की सहायता करते रहते है, हमारे देश में ऐसे हनुमत उपासकों की बड़ी संख्या है । इनमें गृहस्थ और योगी, वैरागी सभी हैं ।

आम तौर पर हनुमान की उपासना करने वाले लोभ से परे होते हैं, वे किसी से कोई लाभ उठाने के लिए अपने इस सिद्धि का व्यवसाय नहीं करते ।

हनुमान वीर साधना । हनुमान वीर साधना मंत्र

हनुमानजी की उपासना का एक क्रम और है । इसे वीर साधना कहा गया है । इसमें साधक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान से निबटने के बाद तीर्थों का आह्वान करते हैं । फिर वे हनुमत् यंत्र से जल को अभिमंत्रित करते हैं ।

इस जल से वे बारह बार अपने मस्तक का अभिषेक करते हैं।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

इसके बाद सिर्फ दो वस्त्र पहनकर साधक को पूजा के स्थान पर बैठ जाना चाहिए । यह स्थान गंगा का तट, हनुमानजी का मंदिर, विष्णु मंदिर, राम मंदिर, शिव मंदिर या पहाड़ का कोई कोना हो सकता है । पूजा स्थान पर बैठकर करांगन्यास और प्राणायाम करना चाहिए । तीन बार प्राणायाम करने के बाद हनुमानजी के वीर रूप का ध्यान करना चाहिए ।

वीर हनुमान ने लंका के युद्ध में शक्ति प्रहार से लक्ष्मण को गिरा हुआ देखकर कोप किया था ।
वे करोड़ों वानरों की सेना लेकर रावण को पराजित करने के लिए दौड़ पड़े थे ।

उन्होंने क्रोध में भरकर विशाल पर्वत को उखाड़ लिया था और हाहाकार ध्वनि करते हुए तीनों लोकों को कंपा दिया था । उनका ब्रह्मांड व्यापी विशाल रूप देखकर राक्षस भयभीत होकर रण भूमि से भाग खड़े हुए थे ।

भक्त हनुमान के इस रूप का ध्यान करते समय यह श्लोक पढ़ना चाहिए –

ध्यायेद् रणे हनुमंतं, कोटि-कपि समन्वितम् ।
धावंतं रावणं जेतुं, दृष्टवा सत्वरमुत्थितम् ।।

लक्ष्मणं च महा-वीरं, पतितं रण-भूतले ।
गुरु चं क्रोधमुत्पाद्य गृहीत्वा गुरु पर्वतम् ।।

हाहाकारैः स-दर्पैश्च कम्पयन्तं जगत्रयम् ।
आ-ब्रह्मांडम् समावाप्य कृत्वा भीमं कलेवरम् । ।

इस ध्यान के बाद साधक को दस अक्षरो वाले हनुमत मंत्र का जाप करना चाहिए । मंत्र इस प्रकार है –

हं पवन नंदनाय स्वाहा ।

यह मंत्र साधक की मनोकामना पूरी करता है । साधक नियम पूर्वक प्रतिदिन एक हजार की संख्या में इसका जप कर सकता है । इस प्रकार ६ दिन तक जप करने से पुरश्चरण पूरा हो जाता है ।

सातवें दिन साधक को दिन, रात आसन पर बैठकर जप करते रहना चाहिए ।
रात के चौथे पहर में साधक को भक्तराज हनुमान का आभास होने लगता है । यदि हनुमान का स्वरूप किसी भी रूप में दिखाई पड़े तो साधक को डरना नहीं चाहिए । उसे अपने को कृतार्थ और धन्य मानना चाहिए ।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

हनुमान सिद्धि साधना मंत्र

हनुमत् साधना के कुछ अन्य सिद्ध मंत्र हैं, जिनका पुरश्चरण करके साधकों ने लाभ उठाया है । शीघ्र फल देने वाला मंत्र इस प्रकार है –

नमो भगवते अंजनेयाय महाबलाय स्वाहा ।

इस मंत्र का पुरश्चरण करने से पहले हनुमत यंत्र का पूजन विधिवत कर लेना चाहिए । यंत्र के  अष्टदल  कमल में हनुमान के आठ रूपों का पूजन किया जाता है । ये रूप हैं-

रामभक्त, महातेजा, कपिराज, महाबल, द्रोणाद्रिहारकाय, मेरुपीठकार्चनकारक, दक्षिणाशाभास्कर और सर्वविघ्ननिवारक ।गंध अक्षत और फूल लेकर इस प्रकार मंत्र का उच्चारण करना चाहिए –

राम भक्ताय नमः महातेजसे नमः, कपिराज नमः, महाबलाय नमः, द्रोणाद्रिहारकाय नमः, मेरुपीठकार्चनकारकाय नमः, दक्षिणाशाभास्कराय नमः और सर्वविघ्ननिवार्काय नमः ।

इन्हीं कमलों में क्रम से अन्य वानर वीरों का पूजन भी करना चाहिए ।

प्रारंभ से सुग्रीवाय नमः, अगदाय नमः, नीलाय नमः, जामवंते नमः, नलाय नमः, सुषेणाय नमः, द्विविदाय नमः और मंदाय नमः ।

इनके अलावा इंद्र, यम, अग्नि, निऋति, वरुण, वायु, कुबेर, ब्रह्मा और अनंत का पूजन उनके अस्त्र-शस्त्रों सहित किया जाता है । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की पूजा और उनका ध्यान हनुमत उपासना का पहला कार्य है ।

साधक को इसे सबसे पहले करना चाहिए । भगवान राम और भक्त हनुमान में ऐसा प्रगाड़ संबंध है कि इनमें से किसी की आराधना दूसरे के स्मरण, ध्यान के बिना पूरी नहीं हो सकती । इस मंत्र का विनियोग इस प्रकार करना चाहिए –

अस्य श्री हनुमन्मंत्रस्य ईश्वर ऋषिः अनुष्टुप छंदः हनुमान देवता हं बीजं स्वाहा शक्तिः ममाभीष्ट अभियोगः जपे विनियोगः।

इस मंत्र का न्यास इस प्रकार करना चाहिए –

ईश्वर ऋषये नमः शिरसि अनुष्टुप छंदसे नमः मुखे हनुमद्देवतायै नमः हदये हं बीजाय नमः गुह्ये स्वाहा शक्तये नमः पादयोः विनियोगाय नमः सर्वांग्डें ।

इसके बाद मूल मंत्र से हृदयादि न्यास कर लेना चाहिए । फिर हाथ जोड़कर एकाग्र भाव से राम भक्त हनुमान का ध्यान इस प्रकार करना चाहिए –

तप्तकांचन संकाशं हृदये विहितांजलिं ।
किरीटिनं कुंडलिनं ध्यायेद् वानर नायकं ।

आठ अक्षरों वाला हनुमान मंत्र

आठ अक्षरों वाला एक हनुमत् मंत्र और है जो अनेक प्रकार की सिद्धियां देता है । मंत्र इस प्रकार है –

ॐ हां हीं हूं हैं हौं हः ॐ ।

इस मंत्र का जप शुरू करने से पहले करन्यास और हृदयादिन्यास में यह बीज जोड़ लेना चाहिए –

ॐ हां, ॐ हीं, ॐ हूं, ॐ हैं, ॐ हौं, ॐ हः ।

इस मंत्र के पुरश्चरण से मानसिक तनाव दूर होता है और मनोकामना पूर्ण होती है ।

शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए साधक को मेंहदी के रस और अष्टगंध से कोयल के पंख की कलम के जरिए हनुमानजी की आकृति बनानी चाहिए ।
इसके बीच अष्टकोण बनाकर आठों कोनों पर शत्रु का नाम लिख देना चाहिए । इस यंत्र को सामने रखकर मंत्र का १० हजार जप करना चाहिए ।

दस हजार का दसवां हिस्सा मातृका जप करना चाहिए ।
फिर मूल मंत्र जप के दसवें हिस्से के बराबर आहुति देकर हवन करना चाहिए ।

हवन के लिए काला तिल, खंडसारी और घी का हव्य बनाना चाहिए ।
हवन के बाद सदाचारी ब्राह्मणों को यथा शक्ति भोजन कराना चाहिए ।

ग्रहण के समय अगर यह क्रिया पूरी कर ली जाये तो यंत्र सिद्ध हो जाता है ।
जरूरत के मुताबिक इस यंत्र को धूप देकर पांच माला मूल मंत्र का जप कर लेना चाहिए ।

यह यंत्र साधक के पास रहेगा तो उसे अनेक प्रकार से लाभ पहुंचाएगा । यह यंत्र साधक के बौद्धिक शक्ति को बनाए रखता है । साधक की हमेशा विजय होती है । शत्रु उससे घबराते हैं । उसकी सराहना होती है ।

हनुमत् आराधना के साथ अनेक संबंध में जो स्तुतियां ऋषियों, संतों और देवताओं ने की है, उनका पाठ भी साधकों को हर रोज करना चाहिए ।

इससे साधक को शांति मिलती है । उसके परिवार में सदा सुख शांति विराजती है ।
संकट से छुटकारा मिलता है।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

आमतौर पर हनुमान चालीसा का पाठ करोड़ों भक्त नित्य करते हैं । यह सिद्ध स्तुति है । हनुमान बाहुक और बजरंग बाण का पाठ भी बड़ा उपयोगी है । रामचरित मानस के सुंदर कांड का पाठ करने से शत्रु संकट खत्म होता है, रोग दूर होते हैं ।
घर का कोई प्राणी यदि घर से चला गया है या खो गया है तो उसे सकुशल वापस बुलाने के लिए सुंदर कांड का सहारा लिया जाता है ।

वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी रामायण में वींर हनुमान की महिमा का जगह-जगह वर्णन किया है । ये दोनों सिर्फ कवि ही नहीं सिद्ध संत भी हैं । इनकी रचनाओं में हनुमानजी की महिमा की जो वर्णन किया गया है, उसे पढ़ने और मनन करने से साधकों के अनेक कष्ट दूर होते हैं ।

हनुमान कवच |

सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना
सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

मनोकामनाओं की सिद्धि और संकटों से छुटकारा पाने के लिए हनुमत् कवच का पाठ किया जाता है । मुख्य रूप से दो हनुमत् कवच प्राप्त हैं – पंचमुखी हनुमत् कवच और एक मुखी हनुमत् कवच।सुख समृद्धि के लिए हनुमान मंत्र-Hanuman Upasna Mantra Vidhi-तांत्रिक विधि से करें हनुमान आराधना

पंचमुखी हनुमत् कवच के ऋषि ब्रह्मा हैं, गायत्री छंद है, हनुमान देवता हैं, रां बीज है, में शक्ति है, चंद्र कीलक है । इस कवच के मुख्य अंश इस प्रकार है –

ईश्वर उवाच- अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि श्रृणु सर्वांङ् सुंदरम्
यत्कृतं देवेशि ध्यानं हनुमतः प्रियम् ।।

पंचवक्त्र महा भीमं कपियूथसमन्वितम् ।
बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थ सिद्धिदम् ।।

पूर्वं तु वानर वक्त्रं कोटि सूर्य समप्रभम् ।
दंष्ट्राकरालवदनं भृकुटी कुटिलेक्षणम् ।।

अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम् ।
अत्युग्रतेजोवपुषं भीषणं भयनाशनम् ।।

पश्चिमे गारुडं वक्त्र वक्रतुंडंमहाबलम् ।
सर्वनागप्रशमनं सर्वभूतादिकृन्ताम् ।।

उत्तरे सौकरं वक्त्रं कृष्णदीप्तनभोमयम् ।
पाताले सिद्ध बेतालं ज्वररोगादिकृंतनम् ।।

उध्रर्वं हयाननं घोरं दानवांतकरंपरम् ।
येनवक्त्रेण विप्रेद्र ताटकाया महाहवे ।।

दुर्गतेशरणं तस्य सर्वशत्रुहरं परम् ।
ध्यात्या पंचमुखं रुद्रं हनुमतं दयानिधिम् ।।

खड्ग त्रिशूलं खट्वांगं पाशमंकुशपर्वतम् ।।
मुष्टौ तु मोदकौ वृक्षं धारयंतं रमंडलुम् ।।

भिंदिपालं ज्ञानमुद्रां दमनं मुनि पुंगवं ।
एतान्यायुधजालामि धारयंतं भयापहम् ।।

दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगंधानुलेपनम् ।
सवैश्वर्यमयं देवं हनुभद्धि श्वतोमुखम् ।।
पंचास्यमच्युतमनेकविचित्र वर्ण वक्रं सशंखविभृतं कपिराजवीर्यम् ।पीतांबरादिमुकटैरपि शोभितांगं पिंगाक्षमंजनिसुतं हृनिशं स्मरामि ।।

मर्कटस्य महोत्साहं सर्वशोक विनाशनम् ।शत्रुसंहारकं चैतत्कवचं ह्यापदं हरेत् ।।
ॐ हरिमर्कटमर्कटाय स्वाहा ।

ॐ नमो भगवते पंचवदनायपूर्वकपि मुखायसकलशत्रुसंहारणाय स्वाहा ।।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय उत्तरमुखाय आदिवराहाय सकलसम्पत्कराय स्वाहा ।।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय उध्रर्वंमुखाय ह्मग्रीवाय सकल जनवश्यकराय स्वाहा ।

इस मूल मंत्र के बाद अंगन्यास, करन्यास आदि इस प्रकार करना चाहिए –

ॐ अस्य श्री पञ्चमुखिहनुमतकवच स्तोत्र मंत्रस्य श्रीरामचन्द्रऋअनुष्टुप छदः श्रीरामचन्द्रो देवता, सीताबीजम्, हनुमानइतिशक्तिः, हनमुतप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः। पुनर्हनुमनिति बीजम् ॐ वायुपुत्रायइतिशक्तिः, अंजनीसुतोयेति कीलकम्, श्रीरामचन्दवर प्रसाद सिद्धय्र्थे जपे विनियोगः ।

ॐ हं हनुमते अंगुष्ठाभ्यां नमः, ॐ वं वायुपुत्राय तर्जनीभ्यां नमः, ॐ अंजनीसुताय मध्यमाभ्यां नमः, ॐ रां रामदूताय अनामिकाभ्यां नमः, ॐ रुं रुद्रमूर्तये कनिष्ठिकाभ्यां नमः, ॐ सं सीताशोकनिवारणाय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।

ॐ अंजनीसुताय हृदयाय नमः, ॐ रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा, ॐ बायुपुत्राय नमः, शिखायै वषट्, ॐ अग्निगर्भाय शिरसे स्वाहा, ॐ रामदूताय नेत्रत्रयाय वौषट्, ॐ पंचमुखिहनुमते अस्ताराय फट् ।

हृदयादि न्यास के बाद हनुमान जी का ध्यान इस प्रकार करना चाहिए –

श्रीरामदूताय आंजनेयाय वायुपुत्राय महाबलाय सीताशोकनिवारणाय महाबलप्रचण्डाय लंकापुरीदहनाय फाल्गुनसखाय कोलाहलसकलब्रह्मांडविश्वरूपाय सप्तसमुद्रानिरन्तरलंघिताय पिंगल नयनायामितविक्रमाय सूर्यविम्बफलसेवाधिष्ठतनिराक्रमाय,

संजीवन्या, अंगदलक्ष्मणमहाकपिसैन्य प्राणदात्रे, दशग्रीवविघ्वंसनाय रामेष्टाय सीताहरामचन्द्रवरप्रसादाय षटप्रयोगागमपंचमुखि हनुमन्मन्त्र जपे विनियोगः |

इस मंत्र को पढ़कर विनियोग का जल छोड़ देना चाहिए । इससे सभी प्रकार की विपत्तियां नष्ट हो जाती हैं । इसके बाद यह पाठ करना चाहिए –

ॐ हरिमर्कटमर्कटायस्वाहा, ॐ हरिमर्कटमर्कटाय वं वं वं वं वं फट् स्वाहा,
ॐ हरिमर्कटमर्कटाय फं फं फं फं फट् स्वाहा, ॐ हरिमर्कटमर्कटाय खं खं खं खं खं मारणाय स्वाहा,

ॐ हरिमर्कटमर्कटाय ठं ठं ठं ठं ठं स्तंभनाय स्वाहा, ॐ हरिमर्कटमर्कटाय डं डं डं डं डं आकर्षणाय सकलसम्पतकराय पंचमुखवीर हनुमते स्वाहा, ॐ उच्चाटने ढं ढं ढं ढं ढं कूर्ममूतये पंचमुखहनुमते परयन्त्रपरतंत्रोच्चाटनाय स्वाहा, ॐ कं खं गं घं डं चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं, तं यं दं धं नं पं फं बं भं मं, यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं स्वाहा ।

इस प्रकार दिगबन्ध करके पाठ करना चाहिए –

ॐ पूर्व कपिमुखेपंचमुखहनुमते ठं ठं ठं ठं ठं सकलशत्रुसंहारणाय स्वाहा,
ॐ दक्षिणमुखे पंचमुखहनुमते करालवदनाय नरसिंहाय हां हां हां हां हां सकलभूत प्रेतदमनाय स्वाहा ।

ॐ पश्चिममुखे गरुड़ासनाय पंचमुख वीर हनुमते मं मं मं मं सकल विषहराय स्वाहा ।
ॐ उत्तरमुखेआदिवराहाय लं लं लं लं लं नृसिंहाय नीलकण्ठाय पंचमुख हनुमते स्वाहा ।

अंजनी सुताय वायुपुत्राय महाबलाय रामेष्ट फाल्गुन सखाय सीताशोकनिवारणाय लक्ष्मण प्राणरक्षकाय कपि सैन्य प्रकाशकाय सुग्रीवाभिमानदहनाय श्री रामचंद्र वर प्रसादकाय महावीर्याय प्रथम ब्रह्माण्डनायकाय पंचमुख हनुमते भूत-प्रेत पिशाच ब्रह्म राक्षस, शाकिनी, डाकिनी अंतरिक्ष ग्रह परमंत्र परयंत्र परतंत्र सर्वग्रहोच्चाटनाय सकल शत्रु संहारणाय, पंचमुख हनुमद्वार प्रसादक सर्व रक्षकाय जं जं जं जं जं स्वाहा ।

इस कवच को रोज एक बार पढ़ने से शत्रु नाथ होता है ।

दो बार पाठ करने से भयंकर शत्रु भी पराजित हो जाते हैं । तीन बार पाठ करने से सारी सम्पत्तियां प्राप्त होती हैं । चार बार पाठ करने से वशीकरण सिद्ध होता है । पांच बार पाठ करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं । छः बार पाठ करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं ।

प्रतिदिन सात बार पाठ करने से सभी काम सिद्ध होते हैं । प्रतिदिन आठ बार पाठ करने से साधक का सद्भाग्य उदित होता है । प्रतिदिन नौ बार पाठ करने से सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं । प्रतिदिन दस बार पाठ करने से तीनों लोकों के रहस्य का ज्ञान होता है और अध्यात्म शक्ति बढ़ती है ।

प्रतिदिन ग्यारह बार पाठ करने से सभी प्रकार की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। इस कवच का पाठ करने वाला साधक महालक्ष्मी की प्रसन्नता सहज ही प्राप्त कर लेता है ।

आखिरी शब्द
हनुमान आराधना एक महत्वपूर्ण और धार्मिक प्रथा है जो भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। यह आपके जीवन को सफल और खुशहाल बनाने में मदद कर सकता है।

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