अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi
अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

हवन एक पवित्र आध्यात्मिक क्रिया है जो हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें यज्ञ के द्वारा भगवान का आदरणीय नाम सादर किया जाता है और विशेष आहुतियाँ दी जाती हैं। यह आध्यात्मिक समृद्धि और मानसिक शांति का अद्वितीय माध्यम होता है।

हवन की तैयारी

आग की तैयारी: हवन के लिए एक यज्ञकुंड या यज्ञकुंड की आवश्यकता होती है, जिसमें आग की तैयारी की जाती है। यह आग अग्निदेव को समर्पित की जाती है।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

यज्ञ के सामग्री: हवन के लिए यज्ञ के सामग्री की आवश्यकता होती है, जैसे कि द्रव्य, दर्भ, अग्निकुंड, और आदिक।

मंत्र और पुरोहित: हवन के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, इसके लिए एक पुरोहित की सेवा लिया जाता है।

हवन की प्रक्रिया

यज्ञकुंड में आग रखना: हवन की शुरुआत में यज्ञकुंड में आग रखी जाती है। यह आग अग्निदेव को समर्पित की जाती है.

मंत्र जप: पुरोहित के मार्गदर्शन में, मंत्रों का जप किया जाता है। ये मंत्र भगवान की पूजा के लिए कहे जाते हैं.

आहुतियाँ देना: यज्ञकुंड में ध्यान से समर्पित होकर, व्यक्ति यज्ञ सामग्री की आहुतियाँ देता है. ये आहुतियाँ आग में दली जाती हैं.

प्रार्थना: हवन के अंत में, व्यक्ति भगवान से अपनी मनोकामनाएँ मांगता है और आशीर्वाद प्राप्त करता है.

हवन का अफसर: हवन के बाद, आग की समापन करने के लिए एक विशेष अफसर का आगमन किया जाता है, और यज्ञ का समापन किया जाता है.

हवन एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है जिसमें व्यक्ति आध्यात्मिक शुद्धि और सद्गुणों की वर्धन के लिए इसका पालन करता है. यह आत्मा के आनंद और सांत्वना की ओर एक कदम है, जो हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व रखता है।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

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(भू रुदन, भू रजस्वला, भू शयन, भू हास्य, किस पक्ष मे शुभ कार्य न करे, यज्ञ कुंड के प्रकार, कितना हवन किया जाए?)

कोई भी अनुष्ठान के पश्चात हवन करने का शास्त्रीय विधान है और हवन करने हेतु भी कुछ नियम बताये गए हैं जिसका अनुसरण करना अति – आवश्यक है , अन्यथा अनुष्ठान का दुष्परिणाम भी आपको झेलना पड़ सकता है ।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है हवन के दिन ‘अग्नि के वास ‘ का पता करना ताकि हवन का शुभ फल आपको प्राप्त हो सके ।

भू रुदन :-

हर महीने की अंतिम घडी, वर्ष का अंतिम् दिन, अमावस्या, हर मंगल वार को भू रुदन होता हैं । अतः इस काल को शुभ कार्य भी नही लिया जाना चाहिए ।

यहाँ महीने का मतलब हिंदी मास से हैं और एक घडी मतलब 24 मिनिट हैं । अगर ज्यादा गुणा न किया जाए तो मास का अंतिम दिन को इस आहुति कार्य के लिए न ले।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

भू रजस्वला :-

इस का बहुत ध्यान रखना चाहिए ।यह तो हर व्यक्ति जानता हैं की मकरसंक्रांति लगभग कब पड़ती हैं । अगर इसका लेना देना मकर राशि से हैं तो इसका सीधा सा तात्पर्य यह हैं की हर महीने एक सूर्य संक्रांति पड़ती ही हैं और यह एक हर महीने पड़ने वाला विशिष्ट साधनात्मक महूर्त होता हैं ।

तो जिस भारतीय महीने आपने आहुति का मन बनाया हैं ठीक उसी महीने पड़ने वाली सूर्य संक्रांति से (हर लोकलपंचांग मे यह दिया होता हैं । लगभग 15 तारीख के आस पास यह दिन होता हैं । मतलब सूर्य संक्रांति को एक मान कर गिना जाए तो 1, 5, 10, 11, 16, 18, 19 दिन भू रजस्वला होती हैं ।

भू शयन :-

आपको सूर्य संक्रांति समझ मे आ गयी हैं तो किसी भी महीने की सूर्य संक्रांती से 5, 7, 9, 15, 21 या 24 वे दिन को भू शयन माना
जाया हैं ।

सूर्य जिस नक्षत्र पर हो उस नक्षत्र से आगे गिनने पर 5, 7,9, 12, 19, 26 वे नक्षत्र मे पृथ्वी शयन होता हैं । इस तरह से यह भी
काल सही नही हैं ।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

अब समय हैं यह जानने का कि भू हास्य क्या है ?
भू हास्य :- तिथि मे पंचमी ,दशमी ,पूर्णिमा ।

वार मे – गुरु वार ।

नक्षत्र मे – पुष्य, श्रवण मे पृथ्वी हसती हैं ।
अतः इन दिनों का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

गुरु और शुक्र अस्त :- यह दोनों ग्रह कब अस्त होते हैं और कब उदित ।

आप लोकल पंचांग मे बहुत ही आसानी से देख सकते हैं और इसका निर्धारण कर सकते हैं । अस्त होने का सीधा सा मतलब हैं की ये ग्रह सूर्य के कुछ ज्यादा समीप हो गए और अब अपना असर नही दे पा रहे हैं ।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

क्यूंकी इन दोनों ग्रहो का प्रत्येक शुभ कार्य से सीधा लेना देना हैं । अतः इनके अस्त होने पर शुभ कार्य नही किये जाते हैं और इन दोनों के उदय रहने की अवस्था मे शुभ कार्य किये
जाना चाहिये ।

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आहुति कैसे दी जाए :-

• आहुति देते समय अपने सीधे हाँथ के मध्यमा और

का सहारा ले कर उसे प्रज्ज्वलित अग्नि मे ही छोड़ा जाए ।

• आहुति हमेशा झुक कर डालना चाहिए वह भी इस तरह से की पूरी आहुति अग्नि मे ही गिरे ।

• जब आहुति डाली जा रही हो तभी सभी एक साथ स्वाहा शब्द बोले ।

(यह एक शब्द नही बल्कि एक देवी का नाम है )

• जिन मंत्रो के अंत मे स्वाहा शब्द पहले से हैं उसमे फिर से पुनःस्वाहा शब्द न बोले यह ध्यान रहे।

वार :- रविवार और गुरुवार सामन्यतः सभी यज्ञों के लिए श्रेष्ठ दिवस हैं । शुकल पक्ष मे यज्ञ आदि कार्य कहीं ज्यादा उचित हैं ।

किस पक्ष मे शुभ कार्य न करे :-

ग्रंथ कार कहते हैं की जिस पक्ष मे दो क्षय तिथि हो मतलब वह पक्षः 15 दिन का न हो कर 13 दिन का ही हो जायेगा उस पक्ष मे समस्त शुभ कार्य वर्जित हैं ।

ठीक इसी तरह अधि़क मास या मल मास मे भी यज्ञ कार्य वर्जित हैं ।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

किस समय हवन आदि कार्य करें :- सामान्यतः आपको इसके लिए पंचांग देखना होगा । उसमे वह दिन कितने समय का हैं । उस दिन मान के नाम से बताया जाता हैं ।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

उस समय के तीन भाग कर दे और प्रथम भाग का उपयोग यज्ञ अदि कार्यों के लिए किया जाना चाहिए । साधारण तौर से यही अर्थ हुआ की की दोपहर से पहले यज्ञ आदि कार्य प्रारंभ हो जाना चहिये ।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

हाँ आप राहु काल आदि का ध्यान रख सकते हैं और रखना ही चहिये क्योंकि यह समय बेहद अशुभ माना जाता हैं ।

यज्ञ कुंड के प्रकार :-

यज्ञ कुंड मुख्यत: आठ प्रकार के होते हैं और सभी का प्रयोजन अलग अलग होताहैं ।

1. योनी कुंड – योग्य पुत्र प्राप्ति हेतु ।

2. अर्ध चंद्राकार कुंड – परिवार मे सुख शांति हेतु । पर पतिपत्नी दोनों को एक साथ आहुति देना पड़ती हैं ।

3. त्रिकोण कुंड – शत्रुओं पर पूर्ण विजय हेतु ।

4. वृत्त कुंड – जन कल्याण और देश मे शांति हेतु ।

5. सम अष्टास्त्र कुंड – रोग निवारण हेतु ।

6. सम षडास्त्र कुंड – शत्रुओ मे लड़ाई झगडे करवाने हेतु ।

7. चतुष् कोणा स्त्र कुंड – सर्व कार्य की सिद्धि हेतु ।

8. पदम कुंड – तीव्रतम प्रयोग और मारण प्रयोगों से बचने हेतु ।

तो आप समझ ही गए होंगे की सामान्यतः हमें
चतुर्वर्ग के आकार के इस कुंड का ही प्रयोग करना हैं ।

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ध्यान रखने योग्य बाते :-

अबतक आपने शास्त्रीय बाते समझने का
प्रयास किया यह बहुत जरुरी हैं । क्योंकि इसके बिना सरल बाते पर आप गंभीरता से विचार नही कर सकते । सरल विधान का यह मतलब कदापि नही की आप गंभीर बातों को ह्र्द्यगम ना करें ।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

पर जप के बाद कितना और कैसे हवन किया जाता हैं ? कितने लोग और किस प्रकार के लोग कीआप सहायता ले सकते हैं ?

कितना हवन किया जाना हैं ? हवन करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना हैं ? क्या कोई और सरल उपाय भी जिसमे हवन ही न करना पड़े ?

किस दिशा की ओर मुंह करके बैठना हैं ? किस प्रकार की अग्नि का आह्वान करना हैं ? किस प्रकार की हवन सामग्री का उपयोग करना हैं ?

दीपक कैसे और किस चीज का लगाना हैं ? कुछ और आवश्यक सावधानी ? आदि बातों के साथ अब कुछ बेहद सरल बातों को अब हम देखेगे ।

जब शास्त्रीय गूढता युक्त तथ्य हमने समंझ लिए हैं तो अब सरल बातों और किस तरह से करना हैं पर भी कुछ विषद चर्चा की आवश्यकता हैं ।

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1. कितना हवन किया जाए?

शास्त्रीय नियम
तो दसवे हिस्सा का हैं ।

इसका सीधा मतलब की एक अनुष्ठान मे

1,25,000 जप या 1250 माला मंत्र जप अनिवार्य हैं और इसका दशवा हिस्सा होगा 1250/10 =125 माला हवन मतलब लगभग 12,500 आहुति ।

(यदि एक माला मे 108 की जगह सिर्फ100 गिनती ही माने तो) और एक आहुति मे मानलो 15 second लगे तब कुल 12,500 *
15 = 187500 second मतलब 3125 minute मतलब 52 घंटे लगभग।

तो किसी एक व्यक्ति के लिए इतनी देर आहुति दे पाना क्या संभव हैं ?

2. तो क्या अन्य व्यक्ति की सहायता ली जा सकती हैं? तो इसका
उतर
हैं हाँ । पर वह सभी शक्ति मंत्रो से दीक्षित हो या अपने ही गुरु भाई बहिन हो तो अति उत्तम हैं ।

जब यह भी न संभव हो तो गुरुदेव के श्री चरणों मे अपनी असमर्थता व्यक्त कर मन ही मन
उनसे आशीर्वाद लेकर घर के सदस्यों की सहायता ले सकते हैं ।

3. तो क्या कोई और उपाय नही हैं ? यदि दसवां हिस्सा संभव न हो तो शतांश हिस्सा भी हवन
किया जा सकता हैं ।

मतलब 1250/100 = 12.5 माला मतलब लगभग 1250 आहुति = लगने वाला समय = 5/6 घंटे ।यह एक साधक के लिए संभव हैं ।

4. पर यह भी हवन भी यदि संभव ना हो तो ? कतिपय साधक किराए के मकान मे या फ्लेट मे रहते हैं वहां आहुति देना भी संभव नही हैं तब क्या ?

गुरुदेव जी ने यह भी विधान सामने रखा की साधक यदि कुल जप संख्या का एक चौथाई हिस्सा जप और कर देता हैं संकल्प ले कर की मैं दसवाँ हिस्सा हवन नही कर पा रहा हूँ ।अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

इसलिए यह मंत्र जप कर रहा हूँ तो यह भी संभव हैं । पर इस केस मे शतांश जप नही चलेगा इस बात का ध्यान रखे ।

5. श्त्रुक स्त्रुव :- ये आहुति डालने के काम मे आते हैं । स्त्रुक 36 अंगुल लंबा और स्त्रुव 24 अंगुल लंबा होना चाहिए ।

इसका मुंह आठ अंगुल और कंठ एक अंगुल का होना चाहिए । ये दोनों स्वर्ण रजत पीपल आमपलाश की लकड़ी के बनाये जा सकते हैं ।

6. हवन किस चीज का किया जाना चाहिये ?

• शांति कर्म मे पीपल के पत्ते, गिलोय, घी का ।

• पुष्टि क्रम मे बेलपत्र चमेली के पुष्प घी ।

• स्त्री प्राप्ति के लिए कमल ।

• दरिद्रयता दूर करने के लिये दही और घी का ।

• आकर्षण कार्यों मे पलाश के पुष्प या सेंधा नमक से ।

• वशीकरण मे चमेली के फूल से ।

• उच्चाटन मे कपास के बीज से ।

• मारण कार्य मे धतूरे के बीज से हवन किया जा ना चाहिए ।

7. दिशा क्या होना चाहिए ?

साधरण रूप से जो हवन कर रहे हैं वह कुंड के पश्चिम मे बैठे और उनका मुंह पूर्व
दिशा की ओर होना चाहिये । यह भी विशद व्याख्या चाहता हैं । यदि षट्कर्म किये
जा रहे हो तो ;अग्निवास विचार एवं हवन विधि-Agnivaas Evam Havan Vidhi In Hindi

• शांती और पुष्टि कर्म मे पूर्व दिशा की ओर हवन कर्ता का मुंह रहे ।

• आकर्षण मे उत्तर की ओर हवन कर्ता मुंह रहे और यज्ञ कुंड वायु कोण मे हो ।

• विद्वेषण मे नैरित्य दिशा की ओर मुंह रहे यज्ञ कुंड वायु कोण मे रहे ।

• उच्चाटन मे अग्नि कोण मे मुंह रहे यज्ञ कुंड वायु कोण मे रहे ।

• मारण कार्यों मे – दक्षिण दिशा मे मुंह और दक्षिण दिशा मे हवन हुंड हो ।

8. किस प्रकार के हवन कुंड का उपयोग किया जाना चाहिए ?

• शांति कार्यों मे स्वर्ण, रजत या ताबे का हवन कुंड होना चाहिए ।

• अभिचार कार्यों मे लोहे का हवन कुंड होना चाहिए।

• उच्चाटन मे मिटटी का हवन कुंड ।

• मोहन कार्यों मे पीतल का हवन कुंड ।

• और ताबे का हवन कुंड मे प्रत्येक कार्य मे उपयोग की या जा सकता हैं ।

9. किस नाम की अग्नि का आवाहन किया जाना चाहिए ?

• शांति कार्यों मे वरदा नाम की अग्नि का आवाहन किया जाना चहिये ।

• पुर्णाहुति मे मृडा नाम की ।

• पुष्टि कार्योंमे बल द नाम की अग्नि का ।

• अभिचार कार्योंमे क्रोध नाम की अग्नि का ।

• वशीकरण मे कामद नाम की अग्नि का आहवान किया जाना चहिये ।

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10. कुछ ध्यान योग बाते :-

• नीम या बबुल की लकड़ी का प्रयोग ना करें ।

• यदि शमशान मे हवन कर रहे हैं तो उसकी कोई भी चीजे अपने घर मे न लाये ।

• दीपक को बाजोट पर पहले से बनाये हुए चन्दन के त्रिकोण पर ही रखे ।

• दीपक मे या तो गाय के घी का या तिल का तेल का प्रयोग करें ।

• घी का दीपक देवता के दक्षिण भाग मे और तिल का तेल का दीपक देवता के बाए ओर लगाया जाना चाहिए ।

• शुद्ध भारतीय वस्त्र पहिन कर हवन करें ।

• यज्ञ कुंड के ईशान कोण मे कलश की स्थापना करें ।

• कलश के चारो ओर स्वास्तिक का चित्र अंकित करें ।

• हवन कुंड को सजाया हुआ होना चाहिए ।

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सबसे पहले गणना के लिए ध्यान रखना है कि रविवार को 1 तथा शनिवार को 7 संख्या मानकर वार गिने जायेंगे |

शुक्लपक्ष प्रतिपदा तिथि को 1 तथा अमावस्या को 30 मानकर गणना होगी |

जिस दिन हवन करना हो उसी दिन की तिथि एवं वार की संख्या जोड़कर जो संख्या प्राप्त होगी उसमे 1(+) जोड़ें ,

तत्पश्चात 4 से भाग(divide) करें

यदि कुछ भी शेष न रहे अर्थात संख्या पूरी भाग हो जाये तो अग्नि का वास पृथ्वी पर जाने

यदि 3 शेष बचे तो भी अग्नि का वास पृथ्वी पर जाने |

यदि 1 शेष बचे तो अग्नि का वास आकाश में जाने |

यदि 2 शेष बचे तो अग्नि वास पाताल में जाने |

यदि अग्नि वास पृथ्वी पर है तो सुखकारक

यदि आकाश में है तो प्राण हानिकारक

यदि पाताल में है तो धनहानि कारक होता है|

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October 2023 अक्टुबर

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Agni Vaas November 2023 नवम्बर

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Agni Vaas January 2024 जनवरी

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Agni Vaas February फरवरी 2024

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