त्रिपिंडी पूजन का कारण होता है पितृ दोष को दूर करना और पितरों की आत्मा को शांति देना। यह पूजा उन पितरों को समर्पित होती है जिन्होंने इस जीवन में हमें जीवन दिया है और उनके बिना हमारा जीवन असंगत होता।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी पूजा करने से पितृ दोष, जिसे कई बार अजन्मेय कर्म के रूप में जाना जाता है,को दूर किया जा सकता है। यह पूजा पितरों की आत्मा को शांति देने के साथ ही उनके आशीर्वाद को भी प्राप्त करने का एक माध्यम होता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी पूजा का विशेष महत्व श्राद्ध पक्ष के दौरान होता है, जब पितरों की आत्मा को शांति देने के लिए यह पूजा की जाती है। इसमें पितरों के लिए अन्न,दान,और पूजा का अर्चना किया जाता है ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके और उनके आशीर्वाद से हमारा जीवन सुखमय और समृद्ध हो सके।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी पूजन विस्तृत जानकारी (Tripindi Shradh In Hindi)
त्रिपिण्डी पूजा, जिसे त्रिपिंडी श्राद्ध भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में पितरों की आत्मा को शांति देने और पितृ दोष को दूर करने के लिए की जाती है। यह पूजा श्राद्ध पक्ष के अंतर्गत की जाती है, जो कि हिन्दू पंचांग के अनुसार चार मास (आषाढ़, भाद्रपद, आश्वयुज, और कार्तिक) में होता है।
इस पूजा का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करना होता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिण्डी शब्द का अर्थ होता है “तीन पिण्ड”। इस पूजा में प्रतितिथि, प्रतियोग, और देव पिण्ड का अर्पण किया जाता है। यह तीन पिण्डों को पितरों की आत्मा के लिए अर्पित करने का एक विशेष तरीका है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिण्डी पूजा की विधि:
तिथि का चयन: पूजा का अग्रिम तयारी में पूर्ववर्ती तीन दिनों में कुछ नहाना और शुद्धि के बाद, एक शुभ तिथि का चयन किया जाता है।
पितृ तर्पण: त्रिपिण्डी पूजा के दौरान, विशेष रूप से तैयारी की गई आहार का पितृ तर्पण किया जाता है। इसमें अन्न, दान, औषधि, और गंध शामिल होते हैं।
तीन पिण्डों का अर्पण: पूजा करते समय, प्रतितिथि, प्रतियोग, और देव पिण्डों का अर्पण किया जाता है। यह पिण्ड निर्मिति, ब्राह्मणों को दान देने, और विशेष मंत्रों का जाप करने के साथ किया जाता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
दान और भोजन: त्रिपिण्डी पूजा के दौरान गरीबों को दान देने का परंपरागत रूप से अनुशासन होता है। पितृ तर्पण के बाद, ब्राह्मणों को भोजन प्रदान करना भी महत्वपूर्ण होता है।
त्रिपिण्डी पूजा करने से पितरों को शांति मिलती है और पितृ दोष को दूर किया जाता है। यह विश्वास किया जाता है कि त्रिपिण्डी पूजा के परिणामस्वरूप, पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से हमारा जीवन सुखमय और समृद्ध होता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी क्यों करते
त्रिपिण्डी पूजा का आयोजन पितरों की आत्मा को शांति देने और पितृ दोष को दूर करने के उद्देश्य से किया जाता है। हम इस पूजा के माध्यम से अपने पूर्वजों और पितरों के प्रति आभार और समर्पण का अभिवादन करते हैं, जो हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण थे और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
इस पूजा में त्रिपिण्डी श्राद्ध के अंतर्गत, पितरों के लिए तीन पिण्डों का अर्पण किया जाता है – प्रतितिथि, प्रतियोग, और देव पिण्ड। यह पिण्ड उन पितरों के प्रति हमारा समर्पण होता है जो इस जीवन से परे हो गए हैं।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिण्डी पूजा के माध्यम से हम पितरों की आत्मा को शांति देते हैं और उनके द्वारा प्राप्त आशीर्वाद का आभार व्यक्त करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य होता है जिसका पूरा माहत्व अपने पितरों के सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने में होता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी करने के लाभ
त्रिपिण्डी पूजा करने के कई महत्वपूर्ण लाभ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
पितृ दोष के निवारण:
त्रिपिण्डी पूजा करने से पितृ दोष को दूर किया जा सकता है। पितृ दोष जीवन में आने वाली कई समस्याओं का कारण हो सकता है, और इस पूजा के माध्यम से यह दोष समाप्त होता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
पितरों की आत्मा को शांति:
त्रिपिण्डी पूजा करके हम पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं। यह हमारे पूर्वजों के प्रति आभार और समर्पण का संकेत होता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
आशीर्वाद प्राप्ति:
इस पूजा के माध्यम से हम पितरों के आशीर्वाद की कामना करते हैं। पितरों के आशीर्वाद से हमारा जीवन सुखमय और समृद्ध होता है और हम अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सफल होते हैं।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
पुण्य की प्राप्ति:
त्रिपिण्डी पूजा करने से हम पुण्य की प्राप्ति करते हैं। पुण्य का अर्थ होता है सकारात्मक कर्म, और इसके द्वारा हम अच्छे कर्मों का अवसर प्राप्त करते हैं।
परिवार के हित में: त्रिपिण्डी पूजा करने से परिवार के सभी सदस्यों को उनके पितरों के प्रति आदर और समर्पण का आभास होता है, जिससे परिवार का सामाजिक और आत्मिक संबंध मजबूत होते हैं।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
इन सभी लाभों के साथ, त्रिपिण्डी पूजा हमारे जीवन को धार्मिकता, आदर्श, और समृद्धि की ओर बढ़ाने में मदद करती है।
- तिथि का चयन: सबसे पहला कदम होता है त्रिपिण्डी पूजा के लिए उपयुक्त तिथि का चयन करना। इसके लिए पंचांग का सहारा लिया जा सकता है।
- पूजा स्थल: एक शुद्ध और पवित्र स्थल का चयन करें, जैसे कि घर का पूजा कक्ष या मंदिर।
- देव पिण्ड: त्रिपिण्डी पूजा के लिए तीन देव पिण्ड तैयार करें। इनमें अन्न, दान, औषधि, और गंध शामिल होते हैं।
- मंत्र पुस्तक: त्रिपिण्डी पूजा के दौरान प्रयुक्त मंत्रों की पुस्तक की आवश्यकता होती है।
ब्राह्मण का सहायता: इस पूजा का आयोजन विशेष रूप से पंडित या ब्राह्मण के सहायता से करना सुनिश्चित करता है कि सभी नियमों का पालन किया जा रहा है और पूजा सही तरीके से हो रही है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिण्डी पूजा के दौरान,आदिकाल से शुरुआत करें और यथासंभाव पूजा का आयोजन श्राद्ध पक्ष के तिथियों के अनुसार करें।
1- Tripindi – त्रिपिंडी श्राद्ध क्या होता है?
सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार यह श्राद्ध, अपने कुल अथवा अज्ञात अतृप्त आत्माओं की मुक्ति हेतु किया जाता है। पितृगण जो सद्गति को प्राप्त न हुए या जिनको दुर्गति मिली तो, वो ऐसे ही भूमि, अंतरिक्ष एवं आकाश, तीनों स्थानों में भटकते रहते है, जब तक उनको मुक्ति नहीं मिलती और अपने कुल के लोगों को अदृश्य घोर कष्ट देने लगते है।
तो उन पितरों की सद्गति हेतु व प्रेतत्व दूर कर उनकी आत्माओं को मुक्ति देने हेतु त्रिपिंडी श्राद्ध करने का विधान है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
2- त्रिपिंडी श्राद्ध का महत्व
सामान्यतः बड़े बुजुर्गों का देहांत होने के बाद हम उनका क्रियाकर्म, पिंडदान व श्राद्ध विधि विधान से कर देते हैं। परन्तु किसी बालक की मृत्यु होने पर यह सब नहीं करते, जिससे उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिल पाती है। यही एक पूजा है जिससे आप बाल्यावस्था के लिए पिंडदान कर सकते हैं। त्रिपिंडी पूजा में होने वाले पिंडदान से बाल्य, तारुण्य व वृद्ध इन सभी आत्माओं को मुक्ति मिल जाती है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
3- त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए कौन बैठ सकता है
जिनकी कुंडली में दोष बताया गया हो उसे पूजा करनी चाहिए। चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हो यह कोई भी कर सकता है, केवल अकेली कोई महिला यह पूजा नहीं कर सकती। सनातन धर्म में महिलाओं को पिंडदान करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। यह कार्य परिवार का कोई पुरुष ही कर सकता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
4- त्रिपिंडी श्राद्ध करने के फायदे
इस श्राद्ध से तीन पीढ़ियों के पितृदोष का निवारण तथा पितरो को मुक्ति मिलती है पूजा समाप्ति के बाद पितरों का आशीर्वाद परिवार को मिलता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि घर में सुख शांति बनी रहती है, धन में वृद्धि होती है। तथा घर से बीमारियां दूर हो जाती है।
गुणवान संतान की प्राप्ति होती है, अगर बच्चे बड़े हो तो उनकी शादी के योग बनने लगते हैं, परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है, सपने में मरे हुए परिजन नहीं आते हैं, काम धंधे में बरकत होती है, पिंड दान पितृसेवा करने वालों को तीनो लोक में मान सम्मान मिलता है तथा खुद को भी मरने के बाद मुक्ति मिलती है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
5- त्रिपिंडी श्राद्ध कब करें
त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा – ये तिथियां एवं संपूर्ण पितृपक्ष उचित होता है ।
अमावस्या को एक मास समाप्त होकर अगली तिथि को नया मास शुरू होता है। पितरों का एक दिन, मानव के एक मास (महिना) के बराबर होता है। अमावस्या को पितरों का भी दिन बदलता है इसलिये अमावस्या तिथि त्रिपिंडी श्राध्द के लिए उचित मानी जाती है। यह विधी केवल एक दिन में संपन्न होती है। परिवार में जब अत्याधिक संकटो का निर्माण हो तो त्रिपिंडी श्राद्ध विधि तत्काल करना उचित माना गया है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
6- श्राद्ध के लिए निषेध काल
परिवार में मंगलकार्य के उपरांत अथवा अशुभ घटना के उपरांत एक वर्ष तक त्रिपिंडी श्राद्ध न करें । अत्यंत अपरिहार्य हो, उदाहरण के लिए – एक मंगलकार्य के उपरांत पुनः कुछ माह के अंतराल पर दूसरा मंगलकार्य नियोजित हो, तो दोनों के मध्यकाल में त्रिपिंडी श्राद्ध करें ।
गुरु शुक्रास्त, गणेशोत्सव एवं शारदीय नवरात्र की कालावधि में त्रिपिंडी श्राद्ध न करें।
श्राद्ध हेतु उचित स्थान
त्रिपिंडी श्राद्ध करने हेतु उचित स्थान – त्र्यंबकेश्वर, गोकर्ण, महाबलेश्वर, गरुडेश्वर, हरिहरेश्वर (दक्षिण काशी), काशी-पिशाच मोचन (वाराणसी)
त्रिपिंडी श्राद्ध ये संकल्पना अपने पूर्वजो की आत्माओ को शांति मिलने के लिए उनके वंशजों द्वारा कि जाने वाला एक अनुष्ठान है। त्रिपिंडी श्राद्ध ये एक काम्य श्राद्ध है, जो अपने मृत पूर्वजो के याद में अर्पित किया जाता है।
अगर तीन वर्षों तक, वंशजों द्वारा पूर्वजो के आत्माओ के शांति मिलने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध नहीं किया गया, तो मृत हिंसक हो जाते है, इसलिए उन्हें शांत करने के लिए पिंड दान विधि की जाती है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
श्राद्ध कमलाकर शास्त्र के अनुसार, हमारे पूर्वजों के श्राद्ध एक वर्ष में ७२ बार किया जाना चाहिए अगर कई वर्षों से किसी कारण से श्राद्ध नहीं किया गया, तो पूर्वज असंतुष्ट और नाराज रहते हैं।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
आदित्यपुराण धर्मशास्त्र के अनुसार, यह कहा जाता है कि यदि त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान हर साल नहीं किया गया, तो पूर्वज असंतुष्ट हो कर वंशजों को उसके दुष्परीणामो का सामना करना पड़ता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
अमावस्या व्दादशैव क्षयाहव्दितये तथा।षोडशापरपक्षस्य अष्टकान्वष्टाकाश्च षट॥
संक्रान्त्यो व्दादश तथा अयने व्दे च कीर्तिते।चतुर्दश च मन्वादेर्युगादेश्च चतुष्टयम॥
न सन्ति पितरश्र्चेति कृत्वा मनसि यो नरः।
श्राध्दं न कुरुते तत्र तस्य रक्तं पिबन्ति ते॥(आदित्यपुराण)
ऊपर दिए गए मंत्र के श्लोक से, यह देखा गया है कि हर किसी को अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। यदि वंशज श्राद्ध अनुष्ठान नहीं करते हैं, तो उन्हें दोष के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी श्राद्ध विधी करने के कारण
त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान भूतों, शकिनी, डाकिनी, आदि की यातनाओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।
त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान गृह क्लेश, व्यापार में असफलता, शांति की कमी, स्वास्थ्य, वित्तीय समस्या, असामयिक मृत्यु, इच्छाओं की असंतोषता, व्यावसायिक समृद्धि की कमी, शादी की समस्या, और संतान आदि विभिन्न समस्याओं दूर करने के लिए किया जाता है।
विभिन्न पापों और पूर्वजों द्वारा शापों से राहत पाने के लिए, यह त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है। भगवान ब्रम्हा पुण्य के प्रतिनिधि हैं, भगवान विष्णु और भगवान महेश (शिव) क्रोध के प्रतिनिधि हैं जिनकी आराधना इस अनुष्ठान में की जाती है।
इस त्रिपिंडी श्राद्ध में भगवान ब्रम्हा की पूजा करके उन्हें जेवी पिंड (जौ की गांठ) की दिखाइ जाती है ताकि वे शवों को क्षत-विक्षत कर सकें। दुःख से राहत पाने के लिए, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जबकि क्रोध के कष्टों से राहत के लिए, भगवान रुद्र की आराधना की जाती है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
जो लोग बचपन या युवावस्था में गुजर गए, उनकी आत्माए असंतुष्ट और अप्रसन्न रहती है, उसके लिये उनके घर वालो को नासिक,त्र्यंबकेश्वर मंदिर में उनके लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिए। त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान में पुर्वजो के नाम और “गोत्र” का उच्चारण नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि किसी को भी सखोल ज्ञान नहीं होता है कि कौनसे पूर्वजों के शाप से वे पीडित है और कौनसे पूर्वज नाराज हैं ।
हमारे पूर्वजों की असंतुष्ट आत्माओं को मुक्ति पाने के लिए, यह त्रिपिंडी श्राद्ध विधी मुख्य रूप से नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर में कि जाती है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्र्यंबकेश्वर में त्रिपिंडी श्राद्ध विधी
त्रिपिंडी श्राद्ध एक धार्मिक विधी है जो की केवल नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर मे ही की जाती है, जो मुख्यतः दानव मुक्ति के लिए है।
त्रिदेवता (भगवान श्री ब्रह्मा , भगवान श्री विष्णु , भगवान श्री शिव ) जो इस अनुष्ठान में प्रमुख देवता है, जिनके आशिर्वाद से पूर्वजो की असंतुष्ट आत्माओ को मोक्ष मिलता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
यह उचित है कि नवरात्र उत्सव के दिनों में इस श्राद्ध विधी को और इसके अलावा एक ही दिन त्रिपिंडी और तीर्थ श्राद्ध न करें। लेकिन अगर किसी कारणवश करना पड़े तो पहले त्रिपिंडी श्राद्ध करें और फिर तीर्थ श्राद्ध करें।
त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पहले, माफी मांगने और शरीर शुद्धिकरण के लिए गंगा नदी में एक पवित्र स्नान करना आवश्यक है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा
त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा “विष्णु पाद” पर संकलित “पिंड” (चावल के बनाये पिंड ) के साथ की जाती है, जिससे गदाधर के रूप में स्थित भगवान विष्णु शांत होते हैं। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, यह सुझाव दिया जाता है, कि यह त्रिपिंडी श्राद्ध केवल तीर्थक्षेत्र में किया जाता है, और अन्य तीर्थक्षेत्र जैसे रामेश्वरम, गोकर्ण, श्रीरंगपट्टण, श्रीशैलम, गया मे से त्र्यंबकेश्वर सबसे शुभ स्थान माना जाता है।त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा कब करनी चाहिए?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह अनुष्ठान वैशाखमास, श्रवणमास, कार्तिकमास, मार्गशीर्षमा, पौषमास, माघमास और फालुगुणमास जैसे महीनों में की जानी चाहिए।
त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान के लिए दक्षिणायन और पंचमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी जैसी तिथि या अमावस्या भी अधिक उचित है। इस त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा को कन्या राशी या तुलसी (राशि तुला) में सूर्य के पारगमन के दौरान करना होगा, जो कि आमतौर पर सितंबर और दिसंबर में होता है।
हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार तीन प्रकार के ऋण होते है. पितृ ऋण, ऋषि ऋण, परमात्मा ऋण, शास्त्रोनुसार पूजा करने से और उपास रखनेसे परमात्मा ऋण से मुक्ति मिलाती है. और श्राद्ध, पितृपुजन जैसे विधि करने से मनुष्य को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है ब्राम्हण यज्ञ, श्राद्ध, तर्पण जैसे विधि करने के लिए वचनबद्ध है.
यह विधि मृत व्यक्ति के स्मरण दिन के आलावा हर रोज भी कर सकते है.
त्रिपिंडी श्राद्ध को काम्य श्राद्ध भी कहा जाता है. जिस मृत व्यक्ति का श्रद्ध लगातार ३ साल ना किया गया हो उसका आत्मा प्रेत योनी में परिवर्तित होता है. अमावस पितरोंका दिन होता है. अतः अमावस के दिन यह श्राद्ध किया जा सकता है.त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी श्राद्ध कब और कहा करे?
त्रिपिंडी श्राद्ध शुक्ल या कृष्ण पक्ष के पंचमी, अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस इन में से किसी भी दिन किया जा सकता है. सामान्यतः १६ सेप्टेम्बर से १५ नोवेम्बर के दरमियाँ सूर्य कन्या और तूल राशी में होता है. इन दिनों में पितर पृथ्वी लोक में आते है. अतः यह काल त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए सर्वोत्तम होता है.
त्रिपिंडी श्राद्ध त्र्यम्बकेश्वर में ही किया जाता है. जो भगवान शिवजी का पवित्र स्थान है. मात्र त्र्यम्बकेश्वर में यह विधि साल के किसीभी दिन किया जा सकता है.त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी करने का हक़ किस को है?
पति पत्नी जोड़ी से, विधवा, अविवाहित व्यक्ति यह विधि अपनी कुटुंब के कल्याण के लिए कर सकते है. हिन्दू धर्मशास्त्र अनुसार कोई स्त्री विवाह करते दुसरे घर में जाती है, तो वह अपने माता पिता की आत्मा की मुक्ति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध नहीं कर सकती. मगर वह अपने ससुराल के पितरों के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध कर सकती. इस विधि के लिए नए, न धोए हुए सफ़ेद कपडे परिधान किये जाते है.त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
त्रिपिंडी का प्रतिफल :
यह विधि धर्मशात्र में बताये गए तरीके नुसार ही होना चाहिए. और यह विधि करने वाले की विधि और भगवान पर पूरी श्रद्धा होना अपेक्षित है. तभी उसे विधि का अच्छा फल मिलता है. कई लोग अपने स्वकियों को या माता पिता को उनके जीवन काल में कष्ट देते है.
और उनकी मृत्य परांत अपनी कथित सामाजिक प्रतिष्ठा लोगोंको दिखने के लिए और बढ़ाने के लिए अनेकों प्रकार के विधि करते है. इस तरह के समारंभ इन दिनों आम हो गए है. इस तरह से किसी भी पीड़ित आत्मा को मुक्ति नहीं मिल सकती.
बल के इस तरह से विधि करने से हम उन आत्माओं को नाराज कर देते है और अपनी परेशानिया और भी बढ़ जाती है. अगर किसी व्यक्ति ने नारायण नागबलि यह विधि किया हो, तो उसे त्रिपिंडी श्राद्ध करने की जरूरत नहीं.त्रिपिंडी श्राद्ध (पितृ दोष निवारण)Tripindi Shradh In Hindi-त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष निवारण विधि
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